iGrain India - नई दिल्ली । पिछले साल की तुलना में चालू रबी सीजन के दौरान राष्ट्रीय स्तर पर गेहूं, मोटे अनाज तथा तिलहन फसलों (खासकर सरसों) के बिजाई क्षेत्र में बढ़ोत्तरी हुई है। यदि अगले कुछ सप्ताहों तक मौसम की हालत अनुकूल बनी रही तो इसका उत्पादन बेहतर हो सकता है।
गेहूं का उत्पादन क्षेत्र गत वर्ष के 334.50 लाख हेक्टेयर से उछलकर 340.10 लाख हेक्टेयर के शीर्ष स्तर पर पहुंच गया है। इसका क्षेत्रफल खासकर उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश तथा हरियाणा जैसे राज्यों में बढ़ा है और राजस्थान, महाराष्ट्र एवं गुजरात जैसे प्रांतों में घट गया है जबकि पंजाब में गत वर्ष के आसपास ही रहा है।
केन्द्रीय पूल में पंजाब, मध्य प्रदेश, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान एवं बिहार द्वारा गेहूं का सर्वाधिक योगदान दिया जाता है। कुल मिलाकर फसल की हालत अभी तक संतोषजनक है।
जहां तक मोटे अनाजों की बात है तो पिछले सीजन की तुलना में इस बार ज्वार, मक्का तथा जौ के बिजाई क्षेत्र में इजाफा हुआ है। मोटे अनाजों का कुल उत्पादन क्षेत्र गत वर्ष के 50.77 लाख हेक्टेयर से बढ़कर चालू रबी सीजन में 53.83 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया है।
इसके तहत ज्वार का बिजाई क्षेत्र 22.02 लाख हेक्टेयर से उछलकर 23.52 लाख हेक्टेयर, मक्का का क्षेत्रफल 20.57 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 21.29 लाख हेक्टेयर तथा जौ का रकबा 7.46 लाख हेक्टेयर से लुढ़ककर 8.79 लाख हेक्टेयर पर पहुंचा।
रागी का रकबा भी 57 हजार हेक्टेयर से सुधरकर 66 हजार हेक्टेयर हो गया। खरीफ सीजन में ज्वार का क्षेत्रफल अपेक्षित स्तर तक नहीं पहुंच पाया था। रबी सीजन के दौरान महाराष्ट्र में इसकी शानदार बिजाई हुई है।
इसी तरह मक्का का उत्पादन क्षेत्र बिहार, तमिलनाडु एवं तेलंगाना में बढ़ा है जबकि जौ के उत्पादन क्षेत्र में राजस्थान एवं उत्तर प्रदेश में अच्छी बढ़ोत्तरी हुई है।
रबी कालीन तिलहन फसलों का उत्पादन क्षेत्र पिछले साल के 108.82 लाख हेक्टेयर से बढ़कर इस बार 109.88 लाख हेक्टेयर पर पहुंचा। इस कृषि में मुख्यत: सरसों का योगदान है जिसका क्षेत्रफल 97.88 लाख हेक्टेयर से उछलकर 100.15 लाख हेक्टेयर के सर्वकालीन सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गया।
इसे अप्रत्याशित घटना माना जा रहा है क्योंकि वर्ष 2023 के अधिकांश दिनों के दौरान प्रमुख उत्पादक राज्यों की महत्वपूर्ण मंडियों में इसका भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे रहा था।
इसके परिणामस्वरुप नैफेड तथा हैफेड जैसी सरकारी एजेंसियों को भारी मात्रा में किसानों से इसकी खरीद करनी पड़ी थी। नैफेड द्वारा करीब 12 लाख टन सरसों की खरीद की गई।
समीक्षाधीन अवधि के दौरान मूंगफली का उत्पादन क्षेत्र 5.11 लाख हेक्टेयर से घटकर 4.52 लाख हेक्टेयर, सूरजमुखी का 84 हजार हेक्टेयर से गिरकर 51 हजार हेक्टेयर तथा तिल का क्षेत्रफल 48 हजार हेक्टेयर से फिसलकर 41 हजार हेक्टेयर रह गया। अलसी का रकबा 3.19 लाख हेक्टेयर पर स्थिर रहा।