iGrain India - हैदराबाद । रबी कालीन मूंग एवं उड़द की अधिकांश खेती दक्षिण भारत में होती है लेकिन वहां इस बार मौसम की हालत पूरी तरह अनुकूल नहीं है। बेशक मिचोंग नामक समुद्री चक्रवाती तूफान के कारण दिसम्बर में तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश एवं उड़ीसा जैसे राज्यों में भारी वर्षा हुई थी और बाद में उत्तर-पूर्व मानसून की भी बारिश हुई लेकिन इसका दायरा सीमित रहा।
इन राज्यों के साथ- साथ कर्नाटक एवं तेलंगाना के अधिकांश भागों में बारिश का अभाव रहा और बांधों- जलाशयों में पानी का स्तर भी घटकर काफी नीचे आ गया।
केन्द्रीय कृषि मंत्रालय के आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले साल की तुलना में चालू रबी सीजन के राष्ट्रीय स्तर पर मूंग का उत्पादन क्षेत्र 5.34 लाख हेक्टेयर से घटकर 4.33 लाख हेक्टेयर तथा उड़द का बिजाई क्षेत्र 6.97 लाख हेक्टेयर से गिरकर 6.02 लाख हेक्टेयर रह गया।
समीक्षाधीन अवधि के दौरान मूंग का क्षेत्रफल उड़ीसा में 4.33 लाख हेक्टेयर से घटकर 3.60 लाख हेक्टेयर, आंध्र प्रदेश में 47 हजार हेक्टेयर से गिरकर 29 हजार हेक्टेयर तथा तमिलनाडु में 29 हजार हेक्टेयर से फिसलकर 22 हजार हेक्टेयर रह गया जबकि अन्य प्रांतों में भी इसका रकबा 23 हजार हेक्टेयर से गिरकर 15 हजार हेक्टेयर पर अटक गया।
जहां तक उड़द का सवाल है तो 2022-23 के मुकाबले 2023-24 के मौजूदा रबी सीजन में इसका उत्पादन क्षेत्र तमिलनाडु में तो 2.50 लाख हेक्टेयर के स्तर पर बरकरार रहा मगर आंध्र प्रदेश में 2.40 लाख हेक्टेयर से घटकर 1.75 लाख हेक्टेयर तथा उड़ीसा में 1.73 लाख हेक्टेयर से गिरकर 1.48 लाख हेक्टेयर पर सिमट गया। तेलंगाना सहित अन्य राज्यों में भी उड़द की कम बिजाई हुई।
इन राज्यों में मूंग एवं उड़द की फसल को बारिश की जरूरत बताई जा रही है क्योंकि इसकी अधिकांश खेती वर्षा पर आश्रित इलाकों में की जाती है। दक्षिणी प्रांतों में ठंड का असर भी कम रहता है।
अगले महीने से वहां तापमान कुछ और ऊंचा हो सकता है जिससे फसल को नुकसान होने की आशंका है। नई फसल की कटाई-तैयारी भी अगले कुछ सप्ताहों में जोर पकड़ सकती है।