iGrain India - मुम्बई । भारत में एक तरफ मक्का की आपूर्ति एवं उपलब्धता की स्थिति जटिल बनी हुई है तो दूसरी ओर इसकी मांग एवं खपत बढ़ती जा रही है जिससे कीमतों में तेजी-मजबूती का माहौल बना हुआ है।
एक अग्रणी बहुराष्ट्रीय कम्पनी के वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि पिछले साल की तुलना में चालू वर्ष के दौरान भारत में पशु आहार एवं पॉल्ट्री फीड निर्माण उद्योग में मक्का की खपत में 20 लाख टन तक की बढ़ोत्तरी हो सकती है।
उल्लेखनीय है कि भारत एशिया के अनेक देशों को भारी मात्रा में इस महत्वपूर्ण मोटे अनाज का निर्यात किया जाता है। लेकिन इस वर्ष आपूर्ति की जटिल स्थिति, मजबूत घरेलू मांग एवं ऊंची कीमत के कारण मक्का का निर्यात प्रभावित होने की आशंका है।
बहुराष्ट्रीय कम्पनी के अनुसार भारत में मक्का की बैलेंस शीट बहुत टाईट है। पशु आहार, पॉल्ट्री फीड और स्टार्च निर्माण उद्योग के साथ अब एथनॉल उत्पादन में कम से कम 6-8 प्रतिशत की वार्षिक बढ़ोत्तरी की आवश्यकता है जो 15 से 20 लाख टन के करीब बैठता है।
भारत में मक्का की औसत उपज दर करीब 3 टन (3000 किलो) प्रति हेक्टेयर रहती है इसलिए उत्पादन बढ़ाने के लिए या तो उत्पादकता या फिर बिजाई क्षेत्र में इजाफा करना आवश्यक होगा।
पॉल्ट्री एवं एथनॉल उद्योग की जबरदस्त मांग के कारण घरेलू बाजार भाव उछलने से भारत से मक्का का निर्यात दिसम्बर 2023 से ही लगभग ठप्प पड़ा हुआ है।
वैश्विक बाजार में अब भारतीय मक्का का दाम अब गैर प्रतिस्पर्धी हो गया है और इसलिए विदेशी आयातक इसकी खरीद में कोई खास दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं क्योंकि अन्य निर्यातक देशों में भाव नीचे चल रहा है।
वैसे भारत में गेहूं का सरकारी स्टॉक न्यूनतम आवश्यक बफर मात्रा से अधिक है। हालांकि सरकारी गेहूं का स्टॉक घटकर पिछले सात वर्षों के निचले स्तर पर आ गया है लेकिन फिर भी सरकारी गोदामों से इसकी भारी निकासी हो रही है।
मई 2022 से ही भारतीय गेहूं के व्यापारिक निर्यात पर प्रतिबंध लगा हुआ है। पहले ऐसी चर्चा हो रही थी कि घरेलू मांग को पूरा करने के लिए देश में गेहूं का आयात हो सकता है लेकिन अब इसकी संभावना क्षीण पड़ती जा रही है।