iGrain India - मुम्बई । एक अग्रणी व्यापारिक संस्था- इंडिया पल्सेस एंड ग्रेन्स एसोसिएशन (इपगा) के चेयरमैन विमल कोठारी का कहना है कि अफ्रीकी देश मोजाम्बिक से आयात में अवरोध उत्पन्न होने के कारण पिछले दो सप्ताह के दौरान अरहर (तुवर) के घरेलू बाजार मूल्य में 5-7 रुपए प्रति किलो का इजाफा हो गया है।
घरेलू प्रभाग में तुवर के नए माल की आपूर्ति जारी रहने और म्यांमार से थोड़ी बहुत मात्रा में आयात आरंभ होने के बावजूद कीमतों में तेजी-मजबूती का माहौल देखा जा रहा है। व्यापार विश्लेषकों के मुताबिक निकट भविष्य में तुवर का भाव ज्यादा नरम पड़ने की संभावना नहीं है।
समीक्षकों के अनुसार 2023 के खरीफ सीजन में बिजाई क्षेत्र घटने एवं मौसम की हालत प्रतिकूल रहने से तुवर के घरेलू उत्पादन में गिरावट आने की आशंका है। भले ही सरकार ने इसका उत्पादन 2022-23 के 33.12 लाख टन से बढ़कर 2023-24 के वर्तमान सीजन में 34.21 लाख टन पर पहुंचने का अनुमान लगाया है लेकिन वास्तविक उत्पादन 30 लाख टन से कम ही होगा।
दूसरी ओर इसकी वार्षिक घरेलू मांग एवं खपत बढ़कर 45-46 लाख टन पर पहुंचने की संभावना है। इस तरह 15-16 लाख टन की विशाल कमी को पूरा करना आसान नहीं होगा- खासकर यह देखते हुए कि अफ्रीकी देशों में निर्यात योग्य स्टॉक समाप्त होने लगा है और अगली नई फसल अगस्त 2024 से पहले नहीं आएगी। अकेला म्यांमार भारत की बढ़ती मांग को पूरा करने में समर्थ नहीं है।
विमल कोठरी के अनुसार चालू वर्ष के दौरान म्यांमार से भारत में तुवर का आयात कुछ बढ़कर 4 लाख टन के करीब पहुंच सकता है।
उत्पादन में गिरावट एवं विदेशों से आयात के परिदृश्य को देखते हुए तुवर का भाव आगामी समय में भी ऊंचा एवं तेज रहने की संभावना है।
उनका कहना है कि अरहर की कीमतों में नरमी की संभावना क्षीण पड़ती जा रही है। उत्पादकों को भरोसा है कि यदि ऊंचे दाम पर उद्यमियों- व्यापारियों की मांग कमजोर रही तो सरकार इसकी खरीद के लिए आगे आएगी और अपने वादे के अनुरूप प्रचलित बाजार भाव पर किसानों से तुवर की खरीद आवश्य करेगी।
इपगा के चेयरमैन का मानना है कि यदि तुवर का दाम लम्बे समय तक ऊंचे स्तर पर बरकरार रहा वो कुछ परम्परागत खरीदार मसूर की तरफ आकर्षित हो सकते हैं जिसे तुवर का एक अच्छा विकल्प माना जाता है।