iGrain India - नई दिल्ली । चालू रबी सीजन के दौरान न केवल गेहूं का बिजाई क्षेत्र नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा है बल्कि 60 प्रतिशत से अधिक क्षेत्रफल में ऐसी उन्नत एवं विकसित प्रजाति के बीज की बोआई हुई है जिसमें प्रतिकूल मौसम को झेलने की अधिक क्षमता है।
हालांकि प्रमुख उत्पादक प्रांतों में लम्बे समय से अच्छी बारिश नहीं हुई है लेकिन मौसम ठंडा होने तथा तापमान नीचे रहने से गेहूं की फसल को राहत मिल रही है और अधिकांश इलाकों में इसकी हालत संतोषजनक बताई जा रही है। अब सबका ध्यान फरवरी-मार्च के मौसम पर केन्द्रित है जो गेहूं की फसल के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण माना जाता है।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार गेहूं का उत्पादन क्षेत्र पिछले साल के 334.50 लाख हेक्टेयर से बढ़कर इस बार 340.10 लाख हेक्टेयर के सर्वकालीन सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गया। इसके बावजूद थोक बाजार भाव पर इसका कोई खास मनोवैज्ञानिक असर नहीं देखा जा रहा है। सरकार ओएमएसएस के तहत अपने स्टॉक से सस्ते दाम पर भारी मात्रा में गेहूं की बिक्री कर रही है।
भारत ब्रांड नाम से आटा बेच रही है और गेहूं पर स्टॉक सीमा भी लगा हुआ है लेकिन फिर भी थोक मंडियों में गेहूं की बहुत कम आवक हो रही है और इसका दाम न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से काफी ऊंचे स्तर पर बरकरार है।
गेहूं का उत्पादन क्षेत्र उत्तर प्रदेश में 97.45 लाख हेक्टेयर से उछलकर 102.29 लाख हेक्टेयर, मध्य प्रदेश में 83.30 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 87.10 लाख हेक्टेयर तथा बिहार में 24.73 लाख हेक्टेयर से सुधरकर 25.16 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया है।
पंजाब में गेहूं का रकबा पिछले साल के स्तर पर ही स्थिर रहा जबकि हरियाणा में 23.76 लाख हेक्टेयर से सुधरकर 24 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया है। महाराष्ट्र में गेहूं की बिजाई घटी है।
गुजरात में भी क्षेत्रफल पीछे रहा। राजस्थान में गेहूं का उत्पादन क्षेत्र गत वर्ष के 29.67 लाख हेक्टेयर से घटकर इस बार 28.61 लाख हेक्टेयर पर अटक गया।
केन्द्रीय पूल में गेहूं का सर्वाधिक योगदान देने वाले पांच राज्यों में पंजाब, मध्य प्रदेश, हरियाणा, उत्तर प्रदेश एवं राजस्थान शामिल हैं। इसके अलावा बिहार, गुजरात एवं उत्तराखंड जैसे राज्यों में भी गेहूं की सरकारी खरीद होती है।