iGrain India - सस्काटून । कनाडा में 2023-24 के मार्केटिंग सीजन की अभी आधी अवधि ही समाप्त हुई जबकि कई महत्वपूर्ण दलहन उत्पादक क्षेत्रों में माल का भारी अभाव महसूस होने लगा है। अधिकांश दलहनों का या तो शिपमेंट हो गया है या फिर निर्यात अनुबंध हो चुका है।
उत्पादकों के पास अब बिक्री के लिए दलहनों का सीमित स्टॉक बचा हुआ है। खरीदारों का ध्यान 2024-25 सीजन की तरफ केन्द्रित होने लगा है। कृषि मंत्रालय ने चालू वर्ष के दौरान कनाडा में मसूर, मटर तथा काबुली चना के बिजाई क्षेत्र में वृद्धि होने का अनुमान लगाया है और अप्रैल-मई में इसकी बिजाई आरंभ होने वाली है।
लेकिन प्रेयरी संभाग में मौसम शुष्क बना हुआ है जबकि वह दलहनों का सबसे प्रमुख इलाका माना जाता है। इससे थोड़ी अनिश्चित्ता का माहौल बन गया है।
हरी मसूर, हरी मटर एवं काबुली चना का भाव तो उत्पादकों के लिए आकर्षक एवं लाभप्रद बना हुआ है और वे इसका क्षेत्रफल बढ़ाने के इच्छुक भी है लेकिन प्रतिकूल आकर्षक एवं लाभप्रद बना हुआ है और वे इसका क्षेत्रफल बढ़ाने के इच्छुक भी है लेकिन प्रतिकूल मौसम उसके इरादों पर पानी फेर सकता है।
दलहनों की खेती अनेक कारकों पर निर्भर करती है जिसमें विदेशों की संभावित मांग भी शामिल है। कनाडा में 2023-24 सीजन के दौरान मौसम की हालत पूरी तरह अनुकूल नहीं होने से मसूर एवं मटर के उत्पादन में कमी आ गई।
पिछला बकाया स्टॉक भी ज्यादा बड़ा नहीं था। दूसरी ओर इसका निर्यात प्रदर्शन अच्छा चल रहा है इसलिए चालू मार्केटिंग सीजन के अंत में वहां इसका बकाया अधिशेष स्टॉक और भी घटने की संभावना है।
ऐसी हालत में यदि चालू वर्ष के दौरान भी मौसम अनुकूल नहीं रहा और दलहन फसलों की खेती का रकबा नहीं बढ़ सका तो 2024-25 के मार्केटिंग सीजन (अगस्त-जुलाई) के दौरान वहां दलहन बाजार में भारी अनिश्चितता का माहौल उत्पन्न हो सकता है।
प्रेयरी संभाग के तीन प्रमुख दलहन उत्पादक प्रांतों- सस्कैचवान, अल्बर्टा एवं मनिटोबा के अधिकांश इलाकों में जोरदार बारिश की जरूरत है। उत्पादक काफी असमंजस की स्थिति में फंसे हुए हैं।
दरअसल कनाडा में विभिन्न आगामी एवं तिलहनी फसलों का भाव घटकर पिछले कई वर्षों के निचले स्तर पर आ गया है जिससे उसकी खेती के प्रति किसानों का उत्साह घट सकता है।
उसके विकल्प के तौर पर दलहन फसलों का रकबा बढ़ाने का प्लान बन रहा है लेकिन इसके लिए मौसम का अनुकूल होना आवश्यक है। भारत में अप्रैल-मई में आम चुनाव होना है इसलिए निकट भविष्य में मसूर के आयात की नीति में कोई बड़ा बदलाव होने की संभावना नहीं है।
कनाडा से मसूर का सर्वाधिक निर्यात भारत को किया जाता है जबकि भारत अब ऑस्ट्रेलिया से मसूर का आयात तेजी से बढ़ने लगा है। इससे कनाडा के उत्पादकों एवं निर्यातकों की चिंता बढ़ सकती है।