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उत्पादन में बढ़ोत्तरी के बावजूद भारत दलहनों में आत्मनिर्भरता से बहुत दूर

प्रकाशित 29/01/2024, 10:37 pm
उत्पादन में बढ़ोत्तरी के बावजूद भारत दलहनों में आत्मनिर्भरता से बहुत दूर

iGrain India - नई दिल्ली । आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले एक दशक के दौरान दलहनों के घरेलू उत्पादन में अच्छी बढ़ोत्तरी हुई है। पहले इसका वार्षिक उत्पादन 160-180 लाख टन के बीच होता था जो अब बढ़कर 220-250 लाख टन के बीच पहुंच गया है।

लेकिन इसके बावजूद दाल-दलहन के उत्पादन में आत्मनिर्भरता काफी दूर नजर आ रही है और विदेशों से इसके भारी आयात की आवश्यकता बनी रहती है।

जनवरी के प्रथम सप्ताह में केन्द्रीय सहकारिता मंत्री ने दावा किया था कि भारत दिसम्बर 2027 तक दाल-दलहन के मामले में पूरी तरह आत्मनिर्भर हो जाएगा और जनवरी 2028 से देश में एक किलो दलहन का भी आयात नहीं होगा।

उनका कहना था कि सरकार किसानों को दलहनों का ऊंचा एवं लाभप्रद मूल्य सुनिश्चित करेगी ताकि इसकी खेती के प्रति उसका उत्साह बढ़ सके। इसके लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) या प्रचलित बाजार भाव पर दलहनों की खरीद की जाएगी।

सहकारिता मंत्री ने कहा था कि दलहन उत्पादकों को कीमतों के बारे में चिंता करने की जरूरत नहीं है। फिलहाल तुवर की खरीद के लिए नया पोर्टल लांच किया गया है जबकि जल्दी ही उड़द एवं मसूर के साथ-साथ मक्का की खरीद के लिए भी इस तरह का पोर्टल लांच किया जाएगा।

यह कोई पहला अवसर नहीं है जब केन्द्र सरकार ने दलहन उत्पादन में आत्मनिर्भरता का लक्ष्य नियत किया है। इससे पूर्व 12 वीं पंचवर्षीय योजना (2012-2017) के दौरान तत्कालीन यूपीए सरकार ने धान एवं गेहूं की भांति दलहन तथा तिलहन फसलों की खरीद बढ़ाने की योजना बनाई थी और इसके लिए प्रयास भी आरंभ किया था।

उससे पूर्व भी समय-समय पर सरकार दाल-दलहनों के आयात पर निर्भरता घटाने के लिए रणनीति बनाती रही। नीति आयोग द्वारा भी इस दिशा में कई प्रयास किए गए और अनेक योजनाएं एवं नीतियां बनाई गई।

एक भूतपूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार की अध्यक्षता में गठित समिति में दलहनों का घरेलू उत्पादन बढ़ाने के लिए ठोस रणनीति बनाई थी मगर इसे बेहतर ढंग से क्रियान्वित नहीं किया जा सका। 

निकट भविष्य में दाल-दलहन की घरेलू पैदावार (आपूर्ति) एवं मांग के बीच अंतर समाप्त होना मुश्किल लग रहा है इसलिए विदेशों से मक्का आयात बरकरार रहेगा।

हालांकि नए उन्नत बीज के इस्तेमाल एवं बढ़ती घरेलू मांग से किसानों को दलहनों का उत्पादन बढ़ाने का प्रोत्साहन मिलेगा जबकि सरकार भी 20 लाख टन के बफर स्टॉक के लिए इसकी खरीद जारी रखेगी लेकिन तेजी से बढ़ती खपत को स्वदेशी स्रोतों से पूरा करना फिलहाल आसान नहीं होगा।

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