iGrain India - मुम्बई । एग्री कॉमर्स एंड ट्रेड एसोसिएशन ने केन्द्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय तथा कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय से तरबूज बीज के आयात की अनुमति देने का आग्रह किया है। एसोसिएशन के अनुसार राजस्थान में मिठाईयों एवं नमकीन के निर्माण में तरबूज बीज का उपयोग बड़े पैमाने पर किया जाता है।
इन मिठाइयों एवं नमकीन का उपयोग न केवल घरेलू प्रभाग में होता है बल्कि दुनिया के अनेक देशों को इसका निर्यात भी किया जाता है। लेकिन तरबूज बीज की आपूर्ति एवं उपलब्धता कम होने तथा कीमत ऊंची रहने से खपतकर्ता उद्योग की कठिनाई बढ़ गई है और तैयार उत्पादों के घरेलू तथा वैश्विक निर्यात कारोबार पर इसका प्रतिकूल असर पड़ने लगा है।
एसोसिएशन के अध्यक्ष का कहना है कि घरेलू उपलब्धता कम होने से उद्योग को अपनी जरूरत के एक बड़े भाग को पूरा करने के लिए अफ्रीकी देश सूडान से तरबूज बीज के आयात की अक्सर आवश्यकता पड़ती है लेकिन फ़िलहाल इसके आयात की अनुमति नहीं है। शेष तरबूज बीज की जरूरत घरेलू उत्पादन से पूरी की जाती है।
राजस्थान के जोधपुर, बाड़मेर एवं बीकानेर संभाग में तरबूज बीज का उत्पादन बड़े पैमाने पर होता है लेकिन इन सभी क्षेत्रों में वर्ष 2023 के दौरान वर्षा का भारी अभाव होने से उत्पादन घटकर महज 20-25 हजार टन पर सिमट गया जबकि सामान्य मौसम के सीजन में वहां 60-70 हजार टन तक उत्पादन होता है।
उत्पादन में भारी गिरावट आने तथा विदेशों से आयात बंद रहने के कारण तरबूज बीज के दाम में भारी इजाफा हो गया है। बीकानेर जिला उद्योग संघ के अध्यक्ष के अनुसार तरबूज बीज का भाव पहले 250 रुपए प्रति किलो चल रहा था जो अब 150 रुपए उछलकर 400 रुपए प्रति किलो पर पहुंच गया है।
उद्योग संघ के मुताबिक जोधपुर संभाग में 150 से अधिक छोटी-छोटी इकाइयां बंद होने के कगार पर पहुंच गई हैं क्योंकि वर्तमान हालात अनुकूल नहीं है।
बढ़ती कीमतों को देखते हुए कुछ लोगों ने तरबूज बीज का भारी-भरकम स्टॉक बना लिया है औअर अत्यन्त सीमित मात्रा में इसे बाजार में उतार रहे हैं। एग्री फार्मर्स एन्ड ट्रेड एसोसिएशन का कहना है कि सरकार को इसके आयात की जल्दी से जल्दी अनुमति होनी चाहिए।
पेरिशेबल एवं सेमी पेरिशेबल उत्पादों के लिए कच्चे माल के आयात की नीति लचीला होना चाहिए और जब तक मगज तरबूज का बेहतर घरेलू उत्पादन नहीं होता तब तक विदेशों से इसका आयात जारी रखने की स्वीकृति मिलनी चाहिए।