iGrain India - नई दिल्ली । अंतरिम आर्थिक समीक्षा रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत खाद्य महंगाई को सामान्य स्तर पर तथा अनेक बड़ी अर्थ व्यवस्था वाले देशों की तुलना में नीचे रखने में सफल रहा है। कृषि क्षेत्र का प्रदर्शन नियमित रूप से बेहतर स्थिति में चल रहा है लेकिन इसमें और विकास की जरूरत है।
कृषि क्षेत्र में नई-नई तकनीक, उन्नत एवं उच्च उपज दर वाले बीज तथा फसल विविधिकरण की प्रक्रिया का उपयोग बढ़ाए जाने की सख्त आवश्यकता है। इसके अलावा पोषक आहार वाली फसलों का उत्पादन बढ़ाने पर भी जोर दिया जाना चाहिए।
आर्थिक समीक्षा रिपोर्ट के मुताबिक भारत के पास अवसरों की कमी नहीं है और सरकार की उपयुक्त नीतियों के सहारे भारतीय किसान न केवल घरेलू प्रभाग में खास सुरक्षा के लिए अपनी दक्षता साबित कर रहे हैं बल्कि वैश्विक खाद्य मांग को पूरा करने में भी अहम योगदान दे रहे हैं।
पिछले 10 वर्षों के दौरान खाद्यान्न सहित अन्य फसलों के उत्पादन में शानदार बढ़ोत्तरी हुई है। कृषि क्षेत्र की औसत वार्षिक विकास दर 2005 से 2014 के बीज 3.4 प्रतिशत रही थी जो वर्ष 2015 से 2023 के दौरान सुधरकर 3.7 प्रतिशत पर पहुंच गई।
वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान कृषि क्षेत्र की विकास दर बढ़कर 4 प्रतिशत पर पहुंची मगर 2023-24 में यह घटकर 1.8 प्रतिशत रह जाने का अनुमान है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि खरीफ और रबी सीजन को मिलाकर कुल 22 फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में नियमित रूप से अच्छी बढ़ोत्तरी की जा रही है जिससे किसानों को उत्पादन बढ़ाने का बेहतर प्रोत्साहन मिल रहा है।
वर्ष 2018 में सरकार ने उत्पादन लागत की तुलना में एमएसपी को कम से कम 50 प्रतिशत ऊपर रखने का निर्णय लिया था जिससे कृषक समुदाय को आकर्षक आमदनी प्राप्त हो रही है।
अल नीनो की वजह से 2023-24 के सीजन में कृषि उत्पादन कुछ कमजोर रहने की आशंका है और खासकर चावल एवं दलहनों के उत्पादन में गिरावट आने के संकेत मिल रहे हैं। शेष फसलों का उत्पादन लगभग सामान्य प्रतीत होता है।