iGrain India - नई दिल्ली । कस्टम विभाग के अधिकारियों द्वारा 25 जनवरी को एक नोटिस दिए जाने के कारण इनलैंड कंटेनर डिपो (आईसीडी) पर पिछले कुछ दिनों से बासमती चावल के 30-40 कंटेनरों को रोका जा रहा है। निर्यात उद्देश्य के लिए यह सेला बासमती चावल आईसीडी पर लाया गया था।
कस्टम विभाग का कहना था कि सभी किस्मों एवं श्रेणियों के चावल के निर्यात शिपमेंट के लिए सैम्पलिंग एवं टेस्टिंग आवश्यक है और इसके आधार पर ही निर्यात आर्डर की मंजूरी दी जा सकती है। आईसीडी पर भ्रम की स्थिति उत्पन्न होने के बाद एपीडा ने तत्काल इस मामले में हस्तक्षेप किया।
एपीडा ने निर्यातकों से कहा कि कृपया यह सुनिश्चित करें कि नमूना (सैम्पल) भेजा जा चुका है और कस्टम हॉउस लेबोरेटरी से 48 घंटे के अंदर परीक्षण रिपोर्ट प्राप्त कर लिया गया है। इसे भविष्य में निर्यातकों को कठिनाई नहीं होगी।
उद्योग समीक्षकों के अनुसार इस आग्रह के बाद सम्बद्ध पक्षों ने लुधियाना स्थित कस्टम अधिकारियों के समक्ष वास्तविक स्थिति का वितरण प्रस्तुत किया और तब यह मामला सुलझा लिया गया।
उद्योग संगठनों एवं निर्यातकों का कहना है कि इस तरह की घटना निर्यात के प्रथम चरण में नहीं होनी चाहिए। समझा जाता है कि 25 जनवरी को कस्टम विभाग ने नोटिस दिया और 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के कारण अवकाश था इसलिए निर्यातकों को बासमती चावल के नमूने का परीक्षण करवाने का अवसर नहीं मिला।
इसके कारण आईसीडी पर कंटेनरों का अम्बार लग गया। कुछ निर्यातकों का कहना है कि करीब 30-40 कंटेनरों को वहां रोका गया जबकि एक अन्य पदाधिकारी ने कहा की महज तीन दिन के अंदर 200 कंटेनरों का जमावड़ा हो गया।
पंजाब राइस- एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन ने तत्काल एपीडा को इससे सूचित किया। एपीडा ने सक्रियता दिखाते हुए कस्टम अधिकारियों से सम्पर्क किया और उसे सही स्थिति की जनकारी दी।
उद्योग समीक्षकों के अनुसार भारत से बासमती चावल का लगभग 80 प्रतिशत निर्यात मध्य पूर्व के देशों में होता है और उसमें सेला बासमती चावल की भागीदारी 90 प्रतिशत के करीब रहती है।
पंजाब-हरियाणा के निर्यातक मुख्यत: गुजरात के कांडला एवं मूंदड़ा बंदरगाह से बासमती चावल का शिपमेंट करते हैं। वहां से गैर बासमती सेला चावल का नगण्य निर्यात होता है।