iGrain India - मुम्बई । सहकारी चीनी मिलों की शीर्ष संस्था- नेशनल फेडरेशन ऑफ को ऑपरेटिव शुगर फैक्टरीज ने सरकार से केन्द्र एवं राज्यों द्वारा नियत गन्ना के मूल्य पर चीनी मिलों को व्यवसाय व्यय का लाभ देने की मांग करते हुए अपने बजट पूर्व ज्ञापन में केन्द्रीय वित्त मंत्रालय से इसके अनुरूप आयकर कानून (अधिनियम) में संशोधन करने का आग्रह किया है।
उल्लेखनीय है कि वित्त वर्ष 2023-24 (अप्रैल-मार्च) के लिए पेश बजट में केन्द्र सरकार ने सहकारी चीनी मिलों को समीक्षा वर्ष 2016-17 से पूर्व उसके द्वारा गन्ना किसानों को किए गए भुगतान पर 100 अरब रुपए की आयकर राहत प्रदान की थी।
इसके उद्देश्य 140 सहकारी चीनी मिलों को आयकर के रूप में चुकाए जाने वाले 94.60 अरब रुपए के आयकर से राहत देना था। अब फेडरेशन ने अपने बजट पूर्व ज्ञापन में इसका उल्लेख करते हुए कहा है कि अनेक सहकारी चीनी मिलें पुराने आंकलन रिकॉर्ड अथवा राज्य सरकारों द्वारा नियत गन्ना के अंतिम मूल्य का प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने में सक्षम नहीं हैं क्योंकि गन्ना के अंतिम मूल्य के निर्यात प्रमाण पत्र के लिए कोई नीति मौजूद नहीं है इसलिए उसे यह राहत प्राप्त करने में कठिनाई हो रही है।
ध्यान देने की बात है कि उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड एवं पंजाब जैसे राज्यों में गन्ना के लिए 'राज्य समर्थित मूल्य (सैप) की घोषणा की जाती है जबकि केन्द्र सरकार द्वारा सभी राज्यों के लिए गन्ना का 'उचित एवं लाभकारी मूल्य' (एफआरपी) निर्धारित किया जाता है।
चीनी मिलों को गन्ना की खरीद पर किसानों को इस मूल्य का भुगतान करना पड़ता है। एथनॉल से होने वाले फायदे पर फेडरेशन ने वित्त मंत्रालय से आयकर में उसी तरह की कटौती की अनुमति देने का आग्रह किया है जिस तरह की छूट विद्युत उद्योग के लिए मान्य है।