iGrain India - मेरठ । पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गन्ना की औसत उपज दर में आ रही गिरावट को देखते हुए कुछ किसान इसका रकबा घटाकर मक्का का क्षेत्रफल बढ़ाने का प्रयास कर सकते हैं।
शामली जिले के किसानों का कहना है कि मक्का का भाव काफी आकर्षक स्तर पर पहुंच गया है। एथनॉल निर्माता 2300 रुपए प्रति क्विंटल के ऊंचे मूल्य पर मक्का खरीदने के लिए तैयार हैं लेकिन फिर भी इसे पर्याप्त मात्रा में इसका स्टॉक उपलब्ध नहीं हो रहा है।
उधर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अनेक किसानों की शिकायत है कि गन्ना की औसत उपज दर में 10 से 13 प्रतिशत तक की गिरावट आ गई है और लोकप्रिय किस्मों के गन्ना की उत्पादकता भी घट गई है।
उत्तर प्रदेश के कुछ किसान अब लुधियाना स्थित भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान के विशेषज्ञों से चर्चा कर रहे हैं कि यदि वे गन्ना के बजाए मक्का की खेती आरंभ करे तो यह कितना लाभदायक साबित हो सकता है और मक्का की सर्वोत्तम उपज दर प्राप्त करने के लिए क्या करना आवश्यक होगा।
शुऊआत में किसान एक एकड़ क्षेत्र में मक्का बीज का उत्पादन शुरू करने का प्लान बना रहे हैं जिसकी बिजाई बाद में ज्यादा क्षेत्रफल में की जाएगी। चूंकि एथनॉल निर्माताओं की मक्के में भारी मांग आगे भी बरकरार रहने की उम्मीद है इसलिए किसानों के भविष्य में बेहतर लाभ हासिल हो सकता है।
समीक्षकों का कहना है कि यद्यपि गन्ना की खेती लाभप्रद है लेकिन इसके दाम में अपेक्षित बढ़ोत्तरी नहीं हो रही है। हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार ने गन्ना का राज्य समर्थित मूल्य (सैप) 20 रुपए प्रति क्विंटल बढ़ाया है।
जहां तक मक्का का सवाल है तो पश्चिमी उत्तर प्रदेश और खासकर शामली जिले में इसका समुचित स्टॉक उपलब्ध नहीं है। मक्का का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2090 रुपए प्रति क्विंटल नियत है जबकि डिस्टीलरीज के एजेंट 2300 रुपए प्रति क्विंटल का ऑफर दे रहे हैं।
शामली के एक प्रगतिशील किसान का कहना है कि मक्का की खेती एक वर्ष में तीन बार की जा सकती है। यदि भविष्य में इसका अच्छा दाम नहीं मिला तो वह वापस गन्ना की तरफ मुड़ जाएगा।
उल्लेखनीय है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गन्ना की खेती बड़े पैमाने पर होती है और वहां चीनी मिलों को पर्याप्त मात्रा में कच्चा माल उपलब्ध होता है। वस्तुत: गन्ना के बिजाई क्षेत्र और उत्पादन की दृष्टि से उत्तर प्रदेश भारत का सबसे अग्रणी राज्य है और चालू मार्केटिंग सीजन के दौरान वह महाराष्ट्र को पीछे छोड़कर देश में चीनी का भी सबसे प्रमुख उत्पादक प्रान्त बनने वाला है।