iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्र सरकार ने बफर स्टॉक के निर्माण हेतु विभिन्न उत्पादक राज्यों में किसानों से प्रचलित बाजार भाव पर अरहर (तुवर) की खरीद आरंभ कर दी है।
मूल्य स्थरीकरण कोष (पीएसएफ) योजना के माध्यम से सरकार का इरादा 15 फरवरी से 15 अप्रैल 2024 के दौरान बफर स्टॉक लिए 4 लाख टन तुवर खरीदने का है और इसकी जिम्मेवारी दो एजेंसियों- भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन महासंघ (नैफेड) तथा भारतीय राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता महासंघ (एनसीसीएफ) को सौंपी गई है।
ज्ञात हो कि 2023-24 के मार्केटिंग सीजन हेतु सरकार ने तुवर का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 7000 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया है जबकि इसका थोक मंडी भाव करीब 42 प्रतिशत ऊंचा चल रहा है।
चूंकि समर्थन मूल्य पर तुवर की खरीद करना संभव नहीं है इसलिए सरकार को बाजार में प्रचलित तत्व पर इसे खरीदने के लिए विवश होना पड़ रहा है ताकि किसानों को तुवर का आकर्षक एवं लाभप्रद मूल्य सुनिश्चित किया जा सके।
तुवर की सीधी खरीद के लिए सरकार ने 4 जनवरी 2024 को एक पोर्टल लांच किया था और इस पर अब तक 2 लाख से अधिक किसान अपना रजिस्ट्रेशन करवा चुके हैं।
इससे सरकार को तुवर की खरीद में अच्छी सफलता मिलने की उम्मीद है। वर्तमान समय में मध्य प्रदेश तथा आंध्र प्रदेश में किसानों से तुवर खरीदी जा रही है। वहां लगभग 2 हजार टन की खरीद हो चुकी है।
फरवरी से अप्रैल के बीच तुवर के नए माल की आवक का पीक सीजन माना जाता है और इसलिए इस अवधि में सरकार अधिक से अधिक मात्रा में इस दलहन की खरीद सुनिश्चित करने का प्रयास करेगी। तुवर खरीफ सीजन की सबसे महत्वपूर्ण दलहन फसल है।
अरहर के प्रमुख उत्पादक राज्यों में महाराष्ट्र, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, गुजरात एवं उत्तर प्रदेश आदि शामिल है। सभी राज्यों में नई फसल की कटाई-तैयारी आरंभ हो चुकी है। घरेलू उत्पादन घटने एवं विदेशों से आयात कम होने के कारण तुवर का भाव एक बार फिर उछलकर काफी ऊंचे स्तर पर पहुंच गया है।
व्यापारियों एवं मिलर्स के साथ सरकारी एजेंसियों की खरीद भी आरंभ होने से तुवर का भाव नीचे आना मुश्किल लगता है। यदि उम्मीद के अनुरूप म्यांमार से आयात बढ़ता है और सरकार भी अपने स्टॉक की बिक्री रियायती मूल्य पर करती है तो तुवर के दाम पर आगामी महीनों के दौरान कुछ दबाव पड़ सकता है। सरकारी खरीद पर सबकी नजर लगी रहेगी।