iGrain India - मुम्बई । भारत दुनिया में वनस्पति तेलों का सबसे प्रमुख आयातक देश है। यहां करीब 12-13 अरब डॉलर मूल्य के 140-150 लाख टन खाद्य तेलों का औसत वार्षिक आयात हो रहा है।
घरेलू उत्पादन कम होने से देश को विदेशों से विशाल मात्रा में खाद्य तेलों का आयात करने के लिए विवश होना पड़ता है। एक तरफ घरेलू प्रभाग में खाद्य तेलों की मांग एवं खपत वर्ष-प्रति वर्ष बढ़ती जा रही है तो दूसरी ओर इसका उत्पादन एक निश्चित सीमा में लगभग स्थिर हो गया है।
भारत में आमतौर पर 80-90 लाख टन पाम तेल 30-35 लाख टन सोयाबीन तेल तथा 20-25 लाख टन सूरजमुखी तेल का आयात होता है। खाद्य तेल-तिलहन के मामले में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने का भारत का लक्ष्य अभी वास्तविकता से कोसों दूर है और निकट भविष्य में इसका हासिल होना बहुत मुश्किल लगता है।
हाल के वर्षों में अनेक योजनाएं एवं नीतियां बनाई गईं और लागू भी की गई लेकिन वास्तविक धरातल पर इसका कोई सार्थक परिणाम सामने नहीं आ सका है।
निर्यातक देशों को भारत में मांग एवं आपूर्ति के अंतर को पाटने के लिए खाद्य तेलों के विशाल आयात की आवश्यकता की पूरी जानकारी है और इसलिए वे इसका भरपूर फायदा उठाने का प्रयास कर रहे हैं। इससे विषम स्थिति उत्पन्न हो रही है।
सरकार को मजबूत नीतिगत सहयोग-समर्थन एवं प्रोत्साहन के साथ तिलहन उत्पादकों के लिए आगे आना चाहिए। स्वदेशी स्रोतों से खाद्य तेल-तिलहन का उत्पादन तेजी से बढ़ाना आवश्यक है अन्यथा इसमें आत्मनिर्भरता का लक्ष्य और भी दूर होता जाएगा।
विदेशों से सस्ते खाद्य तेलों का विशाल आयात होने से घरेलू बाजार भाव नरम पड़ गया है जिससे तिलहन उत्पादकों को अपनी फसल का लाभप्रद मूल्य नहीं मिल रहा है। ऐसी हालत में तिलहन की खेती के प्रति उसके उत्साह एवं आकर्षण में कमी आ सकती है।
वर्ष 2023 के दौरान मलेशिया में क्रूड पाम तेल (सीपीओ) के वायदा मूल्य में 10.5 प्रतिशत की गिरावट आ गई। चालू वर्ष के दौरान सीपीओ के दाम में कुछ तेजी आने की उम्मीद व्यक्त की जा रही है लेकिन इसमें कितनी तेजी आएगी, यह अनुमान लगाना अभी मुश्किल है।
वैश्विक स्तर पर प्रमुख तिलहनों का उत्पादन 2022-23 सीजन के 63 करोड़ टन से बढ़कर 2023-24 के सीजन में 66 करोड़ टन पर पहुंचने का अनुमान है। इसके तहत सोयाबीन का उत्पादन 37.50 करोड़ टन से बढ़कर 39.90 करोड़ टन पर पहुंच जाने की संभावना है।
इसी तरह प्रमुख वनस्पति तेलों का वैश्विक उत्पादन 60 लाख टन की बढ़ोत्तरी के साथ 22.30 करोड़ टन पर पहुंचने की उम्मीद है। पाम तेल का उत्पादन भी 775 लाख टन से बढ़कर 795 लाख टन पर पहुंचने के आसार हैं।