iGrain India - नई दिल्ली । किसानों को आकर्षक एवं लाभप्रद मूल्य सुनिश्चित करने तथा बफर स्टॉक बनाने के लिए केन्द्र सरकार ने अपनी एजेंसियों- नैफेड तथा एनसीसीएफ के जरिए उत्पादकों से प्रचलित बाजार मूल्य पर अरहर (तुवर) की खरीद आरंभ कर दी है।
इसे देखते हुए निकट भविष्य में इस महत्वपूर्ण दलहन के दाम में ज्यादा नरमी आने की संभावना नहीं है। वर्तमान समय में तुवर का थोक मंडी भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य से करीब 42 प्रतिशत ऊपर चल रहा है।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार अभी तक दोनों सरकारी एजेंसियों द्वारा मध्य प्रदेश तथा आंध्र प्रदेश में संयुक्त रूप से केवल 2 हजार टन तुवर की खरीद की जा सकी है लेकिन अगले दो माह के दौरान खरीद की गति एवं मात्रा में अच्छी बढ़ोत्तरी होने की उम्मीद है।
फरवरी से अप्रैल के बीच मंडियों में तुवर की सर्वाधिक आवक होती है। इन दोनों एजेंसियों ने 15 फरवरी से 15 अप्रैल के दो महीनों के दौरान 4 लाख टन तुवर खरीदने का प्लान बनाया है। अब तक सीधी खरीद योजना के लिए 2 लाख से अधिक तुवर उत्पादकों का पंजीकरण हो चुका है।
व्यापार विश्लेषकों के अनुसार तुवर उत्पादकों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से ऊंचा दाम मिल रहा है। दरअसल उत्पादन कम होने तथा आयात की गति धीमी रहने से तुवर का भाव ऊंचे स्तर पर बरकरार है।
मिलर्स एवं व्यापारी पहले से ही ऊंचे दाम पर इसकी खरीद कर रहे हैं और अब सरकारी एजेंसियों ने भी इसे खरीदना शुरू कर दिया है। लेकिन सरकारी खरीद भी प्रचलित बाजार भाव पर होने से किसान ज्यादा उत्साहित नहीं हैं क्योंकि वही मूल्य उसे व्यापारियों एवं दाल मिलर्स से भी प्राप्त हो रहा है।
बाजार में प्रचलित ऊंचे दाम के कारण पिछले कुछ वर्षों से नैफेड द्वारा बफर स्टॉक के लिए अपेक्षित मात्रा में किसानों से तुवर की खरीद नहीं की जा सकी।
31 जनवरी को तुवर का भाव महाराष्ट्र की लातूर मंडी में 10,000-10200 रुपए प्रति क्विंटल दर्ज किया गया जो 2023-24 सीजन के लिए घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य 7000 रुपए प्रति क्विंटल से काफी ऊपर था।
अधिकारियों का कहना है कि समर्थन मूल्य से ऊंचे भाव पर दलहनों की सरकारी खरीद होने से किसानों में अच्छा संदेश जाएगा और उसे तुवर का उत्पादन बढ़ाने का प्रोत्साहन मिलेगा।
इससे विदेशों से इसके आयात पर निर्भरता में कमी आएगी। केन्द्रीय कृषि मंत्रालय ने अपने प्रथम अग्रिम अनुमान में 2023-24 सीजन के दौरान 34.20 लाख टन तुवर का उत्पादन आंका है।