iGrain India - नागपुर । महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री ने कहा है कि यदि कोई व्यापारी केन्द्र द्वारा घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे दाम पर किसानों से कपास की खरीद का प्रयास करता है तो उसके खिलाफ मामला दर्ज किया जाएगा और तदनुरूप कार्रवाई होगी।
उन्होंने इस आशय का दिशा-निर्देश जारी कर दिया है। यद्यपि यह अनिवार्य नियम नया नहीं है लेकिन चालू सप्ताह के आरंभ में हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में उप मुख्यमंत्री ने इसे सख्ती से लागू करने की आवश्यकता पर जोर दिया। इसके साथ-साथ उन्होंने कपास की खरीद सख्त निगरानी करने पर भी जोर दिया।
महाराष्ट्र के विदर्भ संभाग में कपास की खेती बड़े पैमाने पर होती है। वहां किसानों ने बेहतर मूल्य प्राप्त होने की आशा से रूई का स्टॉक रोक रखा है लेकिन जब थोक मंडियों में कीमतों में नरमी का रुख बनने लगा तब इसकी चिंता बढ़ गई।
अब उस मुख्यमंत्री की घोषणा से किसानों को कुछ उम्मीद बढ़ी है। नकदी की जरूरतों को पूरा करने के लिए किसानों को अपनी रूई का स्टॉक न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से भी नीचे दाम पर बेचने के लिए विवश होना पड़ रहा है।
ज्ञात हो कि केन्द्र सरकार ने लम्बे रेशेवाली कपास का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2023-24 सीजन के लिए 7020 रुपए प्रति क्विंटल तथा मध्यम रेशेवाली किस्मों का 6620 रुपए प्रति क्विंटल नियत कर रखा है।
उत्पादकों का कहना है कि जिनिंग इकाइयों में कपास का भाव 6500 से 6800 रुपए प्रति क्विंटल के बीच चल रहा है जबकि खेतों पर इसका दाम महज 6000/6100 रुपए प्रति क्विंटल है।
जिनर्स कपास की खरीद कम दाम पर कर रहे हैं क्योंकि उसका कहना है कि रूई की क्वालिटी अच्छी नहीं है। इसे देखते हुए यवतमाल के किसानों ने जिला प्रशासन को एक ज्ञापन भी दिया है।