iGrain India - मुम्बई । घरेलू प्रभाग में शानदार उत्पादन होने की उम्मीद एवं कीमतों में आई भारी गिरावट से एक बार फिर जीरा का निर्यात प्रदर्शन सुधरने के आसार हैं। विदेशी खरीदार भारतीय जीरे की तरफ तेजी से आकर्षित होने लगे हैं क्योंकि इसका मूल्य प्रतिस्पर्धी स्तर पर आ गया है।
व्यापार विश्लेषकों के अनुसार दोनों शीर्ष उत्पादक राज्यों- गुजरात एवं राजस्थान में इस बार जीरा का शानदार उत्पादन होने के आसार हैं जिससे 2023-24 के मार्केटिंग सीजन में देश से इसका कुल निर्यात बढ़कर 2.00 लाख टन से ऊपर पहुंच जाने का अनुमान है।
वर्ष 2023 में जीरा का घरेलू बाजार भाव उछलकर सर्वकालीन सर्वोच्च स्तर पर पहुंचने से इसका निर्यात प्रदर्शन कमजोर पड़ गया लेकिन वर्ष 2024 में यह बेहतर रहने की उम्मीद है। गुजरात और राजस्थान में इस बार बिजाई क्षेत्र काफी बढ़ गया है।
अंतर्राष्ट्रीय बाजार में जीरा का दाम घटकर अब 3700/4200 डॉलर प्रति टन पर आ गया है जो अक्टूबर 2023 में उछलकर 5900/7000 डॉलर प्रति टन के शीर्ष स्तर पर पहुंचा था।
व्यापार विश्लेषकों के अनुसार फरवरी 2024 में देश से 14-15 हजार टन जीरा का निर्यात होने की संभावना है जबकि मार्च में नई फसल की आपूर्ति जोर शोर से होने पर निर्यात की रफ्तार और भी बढ़ जाएगी।
आगामी समय में त्यौहारी मांग निकलेगी जबकि जीरा का भाव काफी हद तक आकर्षक स्तर पर मौजूद रहेगा। एक विश्लेषक के मुताबिक मोटे अनुमान के तहत देश से दिसम्बर 2023 में करीब 10 हजार टन तथा जनवरी 2024 में लगभग 13 हजार टन जीरा का निर्यात हुआ।
समीक्षकों के अनुसार आमतौर पर मुस्लिम बहुल देशों में रमजान पर्व के कारण फरवरी में जीरे का भारी आयात शुरू हो जाता है। वैसे इसका त्यौहार मार्च या अप्रैल में मनाया जाता है मगर आयातक उससे पहले ही जीरा मंगाकर उसका स्टॉक कर लेते हैं।
जोधपुर के एक कारोबारी का मानना है कि मार्च से जून 2024 के दौरान जीरा के वैश्विक बाजार मूल्य में वर्तमान स्तर के मुकाबले 500 डॉलर प्रति टन तक और गिरावट आ सकती है।
उस समय भारत में नई फसल की भारी आवक होगी। देश में फरवरी के दूसरे पखवाड़े से जीरा की नई आवक शुरू हो जाती है जबकि मार्च में यह जोर पकड़ती है।
आमतौर पर भारत से करीब 2 लाख टन जीरा का औसत वार्षिक निर्यात होता है मगर इस बार इसमें करीब 30-10 प्रतिशत की गिरावट आ गई। 2021-22 में देश से 2,04,388 टन जीरा का निर्यात हुआ था जो 2022-23 में घटकर 1,76,011 टन रह गया। यह वाणिज्य मंत्रालय का आंकड़ा है।