iGrain India - नई दिल्ली । बासमती धान का घरेलू उत्पादन 2022-23 सीजन के 110 लाख टन से बढ़कर 2023-24 के सीजन में 130 लाख टन पर पहुंचने का अनुमान है लेकिन फिर भी निर्यातक और मिलर्स प्रीमियम क्वालिटी के इस धान की खरीद ऊंचे दाम पर कर रहे हैं जिससे किसानों को आकर्षक फायदा हो रहा है।
अग्रणी निर्यातक प्रतिष्ठान के अनुसार चालू सीजन में बासमती धान का उत्पादन बढ़ा है लेकिन फिर भी इसका प्लांट डिलीवरी मूल्य औसतन 50 रुपए प्रति किलो के आसपास बैठ रहा है जबकि 2022-23 के सीजन में 46 रुपए प्रति किलो रहा था।
इसके फलस्वरूप किसानों को मिलने वाला मूल्य भी 41-42 रुपए प्रति किलो से बढ़कर 44-45 रुपए प्रति किलो हो गया है।
समीक्षकों का कहना है कि विदेशी बाजारों में भारतीय बासमती चावल की शानदार मांग निकल रही है जबकि इसकी घरेलू खपत भी तेजी से बढ़ रही है। चावल का भाव ऊंचा होने से मिलर्स एवं निर्यातक बासमती धान की खरीद ऊंचे दाम पर कर रहे हैं।
2022-23 सीजन के दौरान 110 लाख टन बासमती धान के उत्पादन से 66 प्रतिशत की औसत रिकवरी दर के आधार पर 72.50 लाख टन बासमती चावल का उत्पादन हुआ। इसमें 55 लाख टन साबुत चावल शामिल था जो 50 प्रतिशत की औसत रिकवरी दर पर आधारित है।
इस 55 लाख टन के उत्पादन में से 45.60 लाख टन बासमती चावल का विदेशों में निर्यात किया गया। अप्रैल-नवम्बर 2023 के दौरान देश से 29.90 लाख टन बासमती चावल का निर्यात हुआ जो वर्ष 2022 की समान अवधि के निर्यात 27.30 लाख टन से 9.6 प्रतिशत या 2.60 लाख टन अधिक था।
बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिबंध तो नहीं लगाया गया लेकिन इसके लिए 1200 डॉलर प्रति टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य (मेप) अवश्य नियत किया गया।
इससे कुछ समय तक बासमती चावल का निर्यात आंशिक रूप से प्रभावित हुआ और बासमती धान का भाव भी घट गया। लेकिन बाद में सरकार ने बासमती चावल के मेप को घटाकर 950 प्रति टन निर्धारित कर दिया और तब बाजार में सामान्य स्थिति बहाल हो गई। दूसरी ओर गैर बासमती चावल का निर्यात 115.70 लाख टन से 33.5 प्रतिशत घटकर 76.90 लाख टन पर सिमट गया।