iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्रीय पूल में गेहूं का स्टॉक लगातार घटता जा रहा है लेकिन खरीफ कालीन धान की कस्टम मिलिंग होने से चावल की उपलब्धता में बढ़ोत्तरी हुई है।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार 15 जनवरी 2024 को केन्द्रीय पूल में 189.28 लाख टन चावल एवं 153.93 लाख टन गेहूं के साथ कुल 343.21 लाख टन खाद्यान्न का स्टॉक उपलब्ध था जो 1 जनवरी 2024 को मौजूद स्टॉक 345.29 लाख टन से 208 लाख टन कम था।
इसमें 181.76 लाख टन चावल एवं 163.53 लाख टन गेहूं का स्टॉक शामिल था। इस तरह 1 जनवरी की तुलना में 15 जनवरी को चावल के स्टॉक में तो बढ़ोत्तरी हुई मगर गेहूं का स्टॉक उससे ज्यादा घट गया।
धान का सरकारी स्टॉक भी इस अवधि में 499.58 लाख टन से बढ़कर 562.34 लाख टन तथा मोटे अनाजों का स्टॉक 1.77 लाख टन से उछलकर 3.84 लाख टन पर पहुंच गया।
इससे पूर्व 1 जनवरी 2023 को केन्द्रीय पूल में 297.05 लाख टन खाद्यान्न का स्टॉक मौजूद था जबकि 1 जनवरी 2022 को 551.66 लाख टन का स्टॉक उपलब्ध था।
2023-24 के खरीफ मार्केटिंग सीजन में धान की सरकारी खरीद में कमी आने से चावल की खरीद नियत लक्ष्य से पीछे रहने की संभावना है। गेहूं का स्टॉक 1 अप्रैल 2024 तक घटकर काफी नीचे आने की संभावना है जबकि उसी समय इसकी खरीद का औपचारिक सीजन आरंभ होगा।
सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत मुफ्त राशन वितरण की समय सीमा अगले साल के लिए बढ़ा दी है जबकि थोक बाजार में चावल तथा गेहूं का भाव काफी ऊंचा चल रहा है।
खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत 75 लाख टन से अधिक गेहूं की बिक्री हो चुकी है लेकिन फिर भी इसका बाजार भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य के आसपास या उससे नीचे नहीं आ सका है।
सरकार भारत ब्रांड नाम से गेहूं के आटे की बिक्री पहले से कर रही है जबकि अब उसने इसमें चावल को भी शामिल कर लिया है। तीन सरकारी एजेंसियां रियायती मूल्य पर इसकी खुदरा बिक्री में संलग्न हैं।