iGrain India - तिरुअनन्तपुरम । ऑस्ट्रेलियाई मौसम एजेंसी का कहना है कि हिन्द महासागर का डायपोल अब काफी हद तक 'न्यूट्रल' (उदासीन) हो गया है जबकि प्रशांत महासागर में समुद्री तल की गर्मी धीरे-धीरे घटती जा रही है जिससे अल नीनो मौसम चक्र का खतरा समाप्त होता जा रहा है।
जून 2023 में यह मौसम चक्र उत्पन्न हुआ था जो धीरे-धीरे तीव्रता के चरण स्तर पर पहुंच गया था। इसके प्रभाव से भारत के विभिन्न भागों में अगस्त के दौरान मानसून की वर्षा में भारी कमी आई गई थी और सूखे की गंभीर स्थित पैदा हो गई थी।
इससे खरीफ फसलों को नुकसान हुआ। समुद्री तापमान में आ रही नियमित गिरावट का मतलब यह हुआ कि अल नीनो अब समाप्त होने वाला है। ट्रॉपिकल प्रशांत महासागर के आसपास अब भी इसका थोड़ा-बहुत प्रभाव कायम है मगर इसका दायरा काफी सीमित है।
दो वैश्विक मौसम एजेंसियों के अनुसार मध्यवर्ती ट्रॉपिकल प्रशांत महासगार में समुद्र की सतह का तापमान (एसएसटी) अपने शीर्ष स्तर पर पहुंचने के बाद अब नीचे आने लगा है। इसके फलस्वरूप वहां अल नीनो भी न्यूट्रल हो जाएगा।
इसका मतलब यह है कि वर्ष 2024 के दौरान भारत में दक्षिण-पश्चिम मानसून अल नीनो से प्रभावित नहीं होगा जिससे देश में अच्छी बारिश हो सकती है। ऑस्ट्रेलिया एवं अमरीका की मौसम एजेंसियां लगातार प्रशांत महासागर पर नजर रख रही हैं और नियमित रूप से अपडेट भी तैयार कर रही हैं।
अल नीनो के प्रकोप से अनेक देश पिछले साल गंभीर रूप से प्रभावित हुए जिससे वहां कृषि उत्पादन पर असर पड़ा। इसमें ऑस्ट्रेलिया, भारत, थाईलैंड, इंडोनेशिया, अमरीका, कनाडा एवं अर्जेन्टीना आदि शामिल थे।
इस वर्ष हालत बेहतर रहने की उम्मीद है। प्रशांत महासगार में जब भी समुद्र तल का तापमान एक निश्चित सीमा से ऊपर पहुंचता है तब अल नीनो उत्पन्न होता है। इसके विपरीत जब तापमान ठंडा होता है तब ला नीना मौसम चक्र का निर्माण होता है जिसका भारतीय मानसून पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।