iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्र सरकार केन्द्र सरकार रियायती मूल्य पर गेहूं के आटे, चावल एवं दाल की खुदरा बिक्री भारत ब्रांड नाम से कर रही है लेकिन उसे आशंका है कि कुछ निहित स्वार्थी तत्व इसकी खरीद करके उसमें घटिया क्वालिटी के माल का मिश्रण कर सकते हैं।
इसे देखते हुए सरकार ने इन उत्पादों की क्वालिटी की जांच पड़ताल करने तथा इसमें मिश्रण का पता लगाने का प्लान बनाया है।
वरिष्ठ आधिकरिक सूत्रों के अनुसार क्वालिटी के परीक्षण की प्रणाली (ट्रेसिंग सिस्टम) का विकास भारतीय राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता महासंघ (एनसीसीएफ) तथा भारतीय गुणवत्ता कौंसिल द्वारा किया गया है।
इसकी सहायता से इन आवश्यक खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता सुनिश्चित हो सकेगी जिसकी बिक्री भारत सरकार द्वारा अपनी अधिकृत एजेंसियों के माध्यम से की जा रही है।
क्वालिटी जांच-परीक्षण से भारत ब्रांड के चावल, दाल एवं आटा में किसी तरह की हेरा फेरी अथवा डायवर्जन पर रोक लगाने में मदद मिलेगी और उपभोक्ताओं को शुद्ध माल मिल सकेगा।
इन उत्पादों पर केन्द्रीय खाद्य, उपभोक्ता मामले एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री से अनुमोदित पर्सनल स्टाफ लगा हुआ है जो इसकी क्वालिटी प्रमाणित करता है।
पिछले दिन भारत चावल की बिक्री आरंभ करने के समय खाद्य मंत्री ने कहा था कि उन्होंने स्वयं इसकी खरीद की है और इसकी क्वालिटी भी अन्य उत्पादों की भांति अच्छी होगी।
दरअसल सरकार द्वारा खाद्य सब्सिडी के मद में विशाल धनराशि खर्च कर रही है और इसलिए वह चाहती है कि उपभोक्ताओं को घटिया क्वालिटी पर मिश्रित माल के बजाए शुद्ध उत्पाद प्राप्त हो।
चालू वित्त वर्ष के दौरान खाद्य सब्सिडी बिल बढ़कर 2.12 ट्रिलियन रुपए तथा अगले वित्त वर्ष में 2.05 ट्रिलियन रुपए पर पहुंचने का अनुमान है जो आम बजट में किए गए 1.97 ट्रिलियन रुपए से ज्यादा है।