iGrain India - जोधपुर । दोनों शीर्ष उत्पादक प्रांतों- गुजरात एवं राजस्थान में बिजाई क्षेत्र बढ़ने से इस बार जीरा का घरेलू उत्पादन बेहतर होने के आसार हैं। व्यापार विश्लेषकों का कहना है कि यदि अगले कुछ सप्ताहों तक मौसम अनुकूल बना रहा तो इस महत्वपूर्ण मसाले की शानदार पैदावार लाख टन से भी ऊपर पहुंच जाने का अनुमान लगाया है
जो 5-6 लाख टन के सामान्य वार्षिक औसत उत्पादन से काफी अधिक है। समीक्षक के मुताबिक शानदार उत्पादन की संभावना को देखते हुए आगामी महीनों के दौरान जीरे के दाम में ज्यादा इजाफा होना मुश्किल लगता है।
मसाला बोर्ड के आंकड़ों से पता चलता है कि 2022-23 सीजन के दौरान देश में 6,27,031 टन जीरा का उत्पादन हुआ जबकि उद्योग- व्यापार संगठनों ने वास्तविक उत्पादन इससे काफी कम आंका था।
2022-23 सीजन के मुकाबले 2023-24 सीजन के दौरान जीरा का बिजाई क्षेत्र गुजरात में 2,75,832 हेक्टेयर से उछलकर 5,61,306 हेक्टेयर तथा राजस्थान में 5,79,140 हेक्टेयर से बढ़कर 6,77,212 हेक्टेयर पर पहुंच गया। आमतौर पर राजस्थान में क्षेत्रफल ज्यादा रहता है मगर उत्पादन गुजरात में अधिक होता है क्योंकि वहां उपज दर ऊंची रहती है।
चालू सप्ताह के आरंभ में मार्च अनुबंध के लिए जीरा का वायदा भाव घटकर 26,960 रुपए प्रति क्विंटल पर आ गया जो एक माह पूर्व प्रचलित मूल्य 33,090 रुपए प्रति क्विंटल से 18.5 प्रतिशत कम था।
गुजरात म चालू माह (फरवरी) के अंतिम सप्ताह से जीरा की नई फसल तैयार होकर मंडियों में आने लगेगी जबकि राजस्थान में मार्च में इसकी आवक शुरू होगी।
उल्लेखनीय है कि पिछले साल जब भारतीय जीरा का भाव उछलकर नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा था तब इसके प्रमुख परम्परागत खरीदार तुर्की, सीरिया एवं चीन जैसे देशों की तरफ मुड़ गए थे।
अब इन देशों में जीरा का निर्यात योग्य स्टॉक लगभग समाप्त हो चुका है जबकि भारत में इसका विशाल स्टॉक मौजूद रहेगा और इसकी कीमत भी प्रतिस्पर्धी स्तर पर रहेगी।
इसके फलस्वरूप 2023-24 के मार्केटिंग सीजन या 2024-25 के वित्त वर्ष में भारत से जीरा का निर्यात एक बार फिर बढ़कर 2 लाख टन से ऊपर पहुंच जाने की उम्मीद है। 2021-22 में 2.04 लाख टन एवं 2022-23 में 1.76 लाख टन जीरा का निर्यात हुआ था।