iGrain India - मुम्बई । राष्ट्रीय स्तर पर 2022-23 सीजन के मुकाबले 2023-24 के वर्तमान रबी सीजन के दौरान काबुली चना के बिजाई क्षेत्र में बढ़ोत्तरी हुई है और मौसम की हालत अनुकूल रहने से प्रमुख उत्पादक राज्यों में अभी तक फसल की स्थिति संतोषजनक दिखाई पड़ रही है।
इसके आधार पर इंडिया पल्सेस एंड ग्रेन्स एसोसिएशन (इपगा) ने काबुली चना के उत्पादन में बढ़ोत्तरी होने की उम्मीद जताई है। अन्य संघों- संगठनों एवं समीक्षकों- विश्लेषकों ने भी काबुली चना के बेहतर उत्पादन की संभावना व्यक्त की है।
व्यापार विश्लेषकों के अनुसार 2023-24 के मौजूदा रबी सीजन में काबुली चना का घरेलू उत्पादन 3.50 लाख टन के आसपास पहुंचने का अनुमान है। उल्लेखनीय है कि भारत इसका निर्यातक और आयातक दोनों है।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक चालू वित्त वर्ष के आरंभिक आठ महीनों में यानी अप्रैल-नवम्बर 2023 के दौरान देश से 68,654 टन काबुली चना का निर्यात हुआ जिससे 816.72 करोड़ रुपए की आमदनी हुई। इसके मुकाबले अप्रैल-नवम्बर 2022 के आठ महीनों में भारत से लगभग 1200 करोड़ रुपए मूल्य के 1.21 लाख टन काबुली चना का निर्यात हुआ था।
भारत से काबुली चना का निर्यात तुर्की, संयुक्त अरब अमीरात एवं श्रीलंका सहित कई अन्य देशों को किया जाता है जबकि रूस सहित कुछ अन्य देशों से इसका आयात भी होता है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार अप्रैल-अक्टूबर 2023 के सात महीनों में देश के अंदर 518.72 करोड़ रुपए मूल्य के 72,060 टन काबुली चना का आयात किया गया।
इस वर्ष रमजान का महीना जल्दी शुरू होने से भारत को काबुली चना का निर्यात बढ़ाने का अवसर मिल सकता है। घरेलू प्रभाग में आमतौर पर मध्य फरवरी से इसके नए माल की आवक शुरू हो जाती है।
आमतौर पर दिसम्बर से फरवरी तक काबुली चना का कारोबार ठंडा रहता है और दाम भी कुछ नरम पड़ जाता है। लेकिन इस बार उत्पादकों एवं स्टॉकिस्टों को अपना स्टॉक बाहर निकालने का मौका मिल रहा है। 10 मार्च से रमजान का महीना शुरू हो रहा है जिससे मुस्लिम बहुल देश में इसकी मांग काफी बढ़ गई है।
महाराष्ट्र में मध्य फरवरी से तथा मध्य प्रदेश में मार्च से काबुली चना के नए माल की आपूर्ति आरंभ होने की संभावना है। इसके साथ ही आंध्र प्रदेश एवं गुजरात में भी नई फसल की आवक शुरू हो जाएगी।
फरवरी एवं मार्च शिपमेंट के लिए अच्छी मात्रा में काबुली चना के निर्यात सौदे होने की सूचना मिल रही है। अप्रैल से बाजार की स्थिति दिलचस्प बन सकती है क्योंकि तब मैक्सिकों में इसकी नई फसल आने लगेगी जबकि कनाडा में बिजाई आरंभ हो जाएगी।