iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि बाजार में स्थिरता लाने के उद्देश्य से सरकार ने सीधे किसानों से 5650 रुपए प्रति क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर सरसों की खरीद करने का निर्णय लिया है।
दरअसल देश में एक बार फिर शानदार उत्पादन होने तथा बाजार भाव घटकर एमएसपी से काफी नीचे आने के कारण सरकार को यह निर्णय लेना पड़ा है।
व्यापार विश्लेषकों के अनुसार सरसों का घरेलू उत्पादन पिछले साल के 113 लाख टन से उछलकर चालू सीजन में 130 लाख टन के नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच जाने का अनुमान है।
प्रमुख उत्पादक राज्यों की महत्वपूर्ण मंडियों में इसका दाम घटकर 5000/5200 रुपए प्रति क्विंटल पर आ गया है जो समर्थन मूल्य से नीचे है। आगे इसमें और गिरावट आ सकती है।
2022-23 के रबी सीजन के दौरान सरकारी एजेंसियों द्वारा 14 लाख टन से अधिक सरसों की खरीद की गई। इसमें नैफेड की भागीदारी 12 लाख टन रही जबकि शेष खरीद हैफेड ने की। कुछ मंडियों में नई सरसों की छिटपुट आवक शुरू हो गई है।
सरसों के प्रमुख उत्पादक प्रांतों में राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा, पश्चिम बंगाल, गुजरात एवं बिहार आदि शामिल है। चूंकि अप्रैल-मई में आम चुनाव होना है इसलिए सरकार सरसों उत्पादकों को नाराज नहीं करना चाहती है। स्वयं किसान संगठन भी एमएसपी की गारंटी के लिए सरकार पर जोरदार दबाव डाल रहे हैं।
सरसों रबी सीजन की सबसे महत्वपूर्ण तिलहन फसल है। चालू रबी सीजन में इसका रकबा उछलकर 100 लाख हेक्टेयर से भी ऊपर निकल गया है जो सर्वकालीन सर्वोच्च स्तर है। कुछ इलाकों को छोड़कर अन्य क्षेत्रों में फसल की हालत संतोषजनक बताई जा रही है।