iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्रीय पूल के लिए चावल की कुल सरकारी खरीद में गिरावट का अंतर कम हो गया है। पहले यह अंतर 14 प्रतिशत पर पहुंच गया था जो अब घटकर 8 प्रतिशत रह गया है।
उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार वर्तमान खरीफ मार्केटिंग सीजन के शुरुआती चार महीनों में यानी 1 अक्टूबर 2023 से 31 जनवरी 2024 के दौरान सरकारी एजेंसियों द्वारा 397.40 लाख टन चावल (इसके समतुल्य धान) खरीदा गया जो पिछले सीजन की समान अवधि की कुल खरीद 429.85 लाख टन से करीब 8 प्रतिशत कम है। वस्तुत: जनवरी के दौरान इसकी खरीद में करीब 20 प्रतिशत का भारी इजाफा हो गया। 31 दिसम्बर 2023 तक चावल की खरीद 14 प्रतिशत पीछे चल रही थी।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार खरीद का अंतर घटाने में दो राज्यों- छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश ने विदेश योगदान दिया। इन राज्यों में विधानसभा चुनाव के बाद किसान भाजपा द्वारा किए गए वादे के अनुरूप धान पर बोनस की घोषणा का इंतजार कर रहे थे। धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2203 रुपए प्रति क्विंटल नियत किया गया है।
केन्द्रीय खाद्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार समीक्षाधीन अवधि के दौरान चावल की सरकारी खरीद छत्तीसगढ़ में तीन गुना से भी ज्यादा उछलकर 22 लाख टन के करीब पहुंचा जबकि मध्य प्रदेश में 60 प्रतिशत बढ़कर 17 लाख टन के आसपास पहुंच गया।
प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक छत्तीसगढ़ में अक्टूबर 2023 से जनवरी 2024 के दौरान 58.65 लाख टन चावल के समतुल्य धान खरीदा गया जो पिछले सीजन के 60.97 लाख टन से करीब 4 प्रतिशत कम है। ज्ञात हो कि दिसम्बर 2023 के अंत तक वहां चावल की खरीद करीब 25 प्रतिशत पीछे चल रही थी।
लेकिन मध्य प्रदेश में जनवरी माह के दौरान हुई जोरदार खरीद के बावजूद चालू मार्केटिंग सीजन के चार महीनों में चावल की कुल खरीद 28.23 लाख टन तक ही पहुंच सकी जो पिछले मार्केटिंग सीजन की इसी अवधि की कुल खरीद से 9 प्रतिशत कम है।
भारतीय खाद्य निगम को सभी कल्याणकारी योजनाओं में आपूर्ति के लिए करीब 410 लाख टन चावल की वार्षिक आवश्यकता पड़नी है। केन्द्र को उम्मीद है कि इसके लिए पर्याप्त मात्रा में चावल की खरीद हो जाएगी। सरकार ने इस बार 521.27 लाख टन चावल की खरीद का लक्ष्य निर्धारित किया है।