iGrain India - नई दिल्ली । आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत 28 जून 2023 से 7 फरवरी 2024 तक सप्ताहिक ई-नीलामी में कुल 80-04 लाख टन सरकारी गेहूं की बिक्री हो गई लेकिन थोक मंडियों में इस महत्वपूर्ण खाद्यान्न की कीमतों पर ज्यादा असर नहीं देखा गया।
सरकार ने घरेलू बाजार में गेहूं की आपूर्ति एवं उपलब्धता बढ़ाने तथा कीमतों में तेजी पर अंकुश लगाने के लिए इस योजना की शुरुआत की थी। अधिकांश प्रमुख मंडियों में गेहूं का भाव अब भी न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से काफी ऊंचा चल रहा है।
इसे देखते हुए सरकार ने अब गेहूं पर लागू स्टॉक सीमा को और भी सख्त बना दिया है। थोक व्यापारियों / स्टॉकिस्टों को पहले एक साथ 1000 टन गेहूं का स्टॉक रखने की अनुमति दी गई थी मगर अब उसे एकाएक 50 प्रतिशत घटाकर 500 टन नियत किया गया है।
इसी तरह बिग चेन रिटेलर्स को भी अपने सभी डिपो पर कुल मिलाकर 1000 टन गेहूं रखने की स्वीकृति दी गई थी मगर उसे भी घटाकर 500 टन निर्धारित किया गया है।
दरअसल गेहूं का उत्पादन 2022-23 के रबी सीजन में सरकारी अनुमान से काफी कम हुआ मगर कृषि मंत्रालय इस हकीकत को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है और खाद्य मंत्रालय उसके आंकड़ों पर भरोसा करके तरह-तरह की सख्ती कर रहा है।
गेहूं एवं इसके उत्पादों के निर्यात पर लम्बे समय से प्रतिबंध लगा हुआ है लेकिन फिर भी घरेलू बाजार में इसकी उपलब्धता में वृद्धि के कोई संकेत नहीं मिल रहे हैं।
सरकार ने अपने स्टॉक का दरवाजा पूरी तरह खोल रखा है और कुल आर्थिक लागत से 400-500 रुपए प्रति क्विंटल कम दाम पर इसकी बिक्री कर रही है।
उसका उद्देश्य बाजार भाव को नियंत्रित करना है ताकि अप्रैल 2024 से आरंभ होने वाले नए रबी मार्केटिंग सीजन के दौरान उसे न्यूनतम समर्थन मूल्य पर किसानों से अधिक से अधिक मात्रा में इसकी खरीद करने में सफलता मिल सके।
फिलहाल गेहूं पर 31 मार्च 2024 तक के लिए भंडराण सीमा लागू है लेकिन यदि बाजार भाव में अपेक्षित गिरावट नहीं आई तो इसकी समय सीमा को आगे बढ़ाए जाने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है।