iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्रीय खाद्य मंत्रालय ने 2023-24 के खरीफ मार्केटिंग सीजन के दौरान 521.27 लाख टन चावल की खरीद का लक्ष्य निर्धारित किया है लेकिन अब तक के प्रदर्शन से प्रतीत होता है कि वास्तविक खरीद इस लक्ष्य से कुछ पीछे रह जाएगी। 2022-23 के सम्पूर्ण ( अक्टूबर-सितंबर) के दौरान कुल मिलाकर 568.69 लाख टन चावल खरीदा गया था जिसमें खरीफ के साथ-साथ रबी सीजन की खरीद भी शामिल थी।
उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार चालू मार्केटिंग सीजन के शुरूआती चार महीनों में यानी 1 अक्टूबर 2023 से 31 जनवरी 2024 तक राष्ट्रीय स्तर पर कुल 397.40 लाख टन चावल खरीदा गया जो 2022-23 सीजन की समान अवधि की कुल खरीद 429.85 लाख टन से करीब 8 प्रतिशत कम है।
ध्यान देने की बात है कि अक्टूबर-दिसम्बर 2023 की तिमाही में चावल की खरीद 2022 के इन्हीं महीनों की तुलना में 14 प्रतिशत पीछे चल रही थी मगर जनवरी माह के दौरान छत्तीसगढ़ एवं मध्य प्रदेश में खरीद काफी बढ़ने से कुल गिरावट का अंतर् घट गया।
ध्यान देने की बात है कि सरकारी एजेंसियों द्वारा किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर मुख्यत: धान खरीदा जाता है और फिर 66-67 प्रतिशत की रिकवरी के आधार पर चावल में उसका आंकलन किया जाता है।
इस खरीदे गए धान की राइस मिलर्स को कस्टम मिलिंग के लिए उपलब्ध करवाया जाता है और मिलर्स इसके सापेक्ष सरकारी एजेंसी को चावल की आपूर्ति करते हैं।
केन्द्रीय कृषि मंत्रालय ने चावल से घरेलू उत्पादन में काफी गिरावट आने का अनुमान लगाया है। पंजाब-हरियाणा सहित कुछ अन्य प्रांतों में धान की सरकारी खरीद पहले ही बंद हो चुकी है लेकिन कुछ राज्यों में यह जारी है।
सरकार को उम्मीद है कि फरवरी-मार्च में धान-चावल की खरीद होने से स्थिति में सुधार आएगा और चावल की कुल खरीद 521.27 लाख टन के निर्धारित लक्ष्य तक या उसके आसपास पहुंच जाएगी।
भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) को सभी कल्याणकारी योजनाओं की जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रति वर्ष लगभग 410 लाख टन चावल की आवश्यकता पड़ती है। चावल का घरेलू बाजार भाव मजबूत बना हुआ है।