iGrain India - पुणे । वर्ष 2023 में मानसून की वर्ष का अभाव होने से महाराष्ट्र में गन्ना की फसल आंशिक रूप से प्रभावित हुई जिसे वहां चीनी के उत्पादन में भारी गिरावट आने की आशंका व्यक्त की जा रही थी लेकिन वर्ष के अंतिम महीनों में वहां अच्छी वर्षा हो गई जिससे गन्ना फसल की हालत कुछ हद तक सुधर गई।
उधर केन्द्र सरकार ने राष्ट्रीय स्तर पर एथनॉल निर्माण में केवल 17 लाख टन चीनी के समतुल्य गन्ना के उपयोग की सीमा निर्धारित कर दी है जबकि पहले 40-45 लाख टन तक का इस्तेमाल हो रहा था। इस तरह एथनॉल निर्माण में सीमित उपयोग होने से चीनी उत्पादन के लिए गन्ना की आपूर्ति एवं उपलब्धता बढ़ जाएगी।
महाराष्ट्र में चालू मार्केटिंग सीजन के दौरान 5 फरवरी 2024 तक 70.44 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ जो पिछले सीजन की समान अवधि के उत्पादन 78.67 लाख टन से 8.23 लाख टन कम था। इस अवधि में वहां गन्ना की क्रशिंग 805.15 लाख टन से घटकर 726.53 लाख टन पर सिमटा और गन्ना से चीनी की औसत रिकवरी दर भी 9.7 प्रतिशत से गिरकर 9.5 प्रतिशत रह गई।
राज्य में अब तक चार चीनी मिलें बंद हो चुकी हैं। गन्ना की कमजोर पैदावार एवं कम उपलब्धता को देखते हुए पहले महाराष्ट्र में इस बार क्रशिंग का सीजन फरवरी के अंत तक समाप्त हो जाने की आशंका व्यक्त की जा रही थी लेकिन अब यह सीजन अप्रैल तक जारी रहने का अनुमान लगाया जा रहा है। इससे चीनी के उत्पादन में स्वाभाविक रूप से सुधार आ जाएगा।
महाराष्ट्र में चीनी का उत्पादन अनुमान 85 लाख टन से बढ़ाकर अब 95 लाख टन निर्धारित किया गया है लेकिन फिर भी यह 2022-23 सीजन के उत्पादन 105 लाख टन से 10 लाख टन कम है।
हालांकि उत्तर प्रदेश में चीनी का उत्पादन बढ़कर 110 लाख टन ऊपर पहुंचने का अनुमान है जिससे वह प्रथम स्थान पर पहुंच सकता है लेकिन कर्नाटक में चीनी का उत्पादन महाराष्ट्र की भांति काफी घटने की संभावना है जिससे राष्ट्रीय स्तर पर इसका कुल उत्पादन घटकर 313.50 लाख टन पर सिमटने का अनुमान है जो 2022-23 सीजन के उत्पादन 331.00 लाख टन से 17.50 लाख टन कम है।