iGrain India - तिरुअनन्तपुरम । प्रशांत महासगार तथा हिन्द महासागर के समुद्री सतह पर हो रहे बदलावों के आहार पर दो वैश्विक मौसम एजेंसियों ने अल नीनो का अस्तित्व लगातार कमजोर पड़ने का संकेत दिया है जो भारत के लिए अच्छी खबर है।
ऑस्ट्रेलिया मौसम एजेंसी ने कहा है कि हिन्द महासागर का डायपोल अब सामान्य स्थिति में वापस लौट आया है जबकि विषुवतीय प्रशांत क्षेत्र में समुद्र की सतह का तापमान ठंडा पड़ने लगा है। यह अल नीनो के समाप्त होने के लक्षण हैं और ऐसा प्रतीत होता है कि एक-दो माह में यह खत्म हो जाएगा।
भारत में दक्षिण-पश्चिम मानसून का सीजन जून से आरंभ होकर सितम्बर तक जारी रहता है और देश में लगभग 70-75 प्रतिशत वर्षा इसी चार महीनों की अवधि में होती है जो खरीफ फसलों के लिए ऑक्सीजन या टॉनिक का काम करती हैं।
पिछले साल मानसून कमजोर रहा था क्योंकि अल नीनो का प्रकोप गंभीर हो गया था। अगस्त का महीना तो पिछले 120 वर्षों में सबसे ज्यादा सूखा रहा था। इससे अनेक खरीफ फसलों पर गंभीर प्रतिकूल असर पड़ा जिसमें धान, गन्ना, कपास एवं सोयाबीन के साथ-साथ दलहन फसलें भी शामिल थीं।
मौसम विशेषज्ञों के अनुसार दिसम्बर 2023 से ही समुद्र में हलचल की स्थिति बदल रही है। प्रशांत महासागर के समुद्री तल का ठंडापन जितना बढ़ेगा अल नीनो मौसम चक्र की संभावना उतनी ही घटती जाएगी और ला नीना मौसम चक्र के आने की संभावना बढ़ेगी।
विशेषज्ञों का कहना है कि अल नीनो मौसम चक्र के लिए एक महत्वपूर्ण संकेतक, जिसके फलस्वरूप एशिया महाद्वीप में लम्बे समय तक मौसम शुष्क बना रहता है और कई देशों में सूखे का गंभीर संकट उत्पन्न हो जाता है,
यह है कि पिछले दो सप्ताहों के दौरान नकारात्मक ओ आर एल आर (आउटगोइंग लांग वेव रेडिएशन) की विसंगति हिन्द महासागर से हटकर विषुवतीय प्रशांत महासागर के पश्चिमी एवं मध्यवर्ती क्षेत्र की और बढ़ गई है जबकि घनात्मक ओ एल आर इंडोनेशिया की ओर बढ़ गया है। इससे अल नीनो के समाप्त होने का संकेत मिलता है।