iGrain India - वेल्लोर । तमिलनाडु के वेल्लोर शहर में पिछले तीन माह के दौरान 26 किलो चावल की बोरी के दाम में 300 रुपए का इजाफा हो गया और इसकी सामान्य किस्म का भाव 950 रुपए से बढ़कर 1250 रुपए पर पहुंच गया।
इसी तरह पोनी चावल के मूल्य में भी इजाफा दर्ज किया गया। अधिक दाने वाले चावल का दाम ज्यादा ऊंचा चल रहा है। पहले इसकी कीमत 1450 रुपए प्रति 26 किलो चल रही थी जो अब 300 रुपए और महंगी हो गई है। तमिलनाडु में धान चावल के उत्पादन में कमी आई है।
व्यापार विश्लेषकों के अनुसार अनिवार्य लाइसेंस प्राप्त होने के बाद दक्षिण भारत के अधिकांश निर्यातकों ने चावल का निर्यात बढ़ाना शुरू कर दिया है। ध्यान देने की बात है कि केन्द्र सरकार द्वारा केवल गैर बासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया गया है जबकि गैर बासमती सेला चावल एवं बासमती चावल का निर्यात खुला हुआ है। सेला चावल पर 20 प्रतिशत का निर्यात शुल्क लागू है।
पहले केवल पंजाब- हरियाणा जैसे राज्यों के निर्यातक लम्बे दाने वाले बासमती चावल का विदेशी मांग को पूरा करने के लिए सीधे तमिलनाडु से भी अच्छी क्वालिटी के गैर बासमती सेला चावल की खरीद कर रहे हैं। वेल्लोर धान-चावल व्यापारी संघ के अध्यक्ष का कहना है कि यदि वर्तमान माहौल (रुख) आगे भी बरकरार रहा तो चावल के दाम में कुछ और वृद्धि हो सकती है।
अध्यक्ष के अनुसार अब चावल की पैकिंग 25 किलो के बजाए 26 किलो की बोरी में होती है क्योंकि केन्द्र सरकार ने 25 किलो तक की पैकिंग पर 5 प्रतिशत का टैक्स लगा दिया है।
इस शुल्क से बचने के लिए आपूर्तिकर्ताओं ने अपना तरीका बदल दिया है। 26 किलो या इससे अधिक मात्रा की पैकिंग पर टैक्स नहीं लगता है। समीक्षकों का कहना है कि सरकार द्वारा लगाया गया 5 प्रतिशत का टैक्स केवल उपभोक्ताओं पर भारी पड़ रहा था लेकिन अब स्थिति धीरे-धीरे सामान्य होने लगी है।
4 सदस्यों वाले परिवार के लिए 26 किलो चावल एक माह की जरूरत को पूरा करने के लिए पर्याप्त होता है। पहले 25 किलो की बोरी खरीदी जाती थी मगर अब एक किलो ज्यादा की खरीद करने में भी ग्राहकों को कोई समस्या नहीं होती है। लेकिन हाल के दिनों में इसके दाम में हुई भारी बढ़ोत्तरी से उसे अवश्य ही कठिनाई होने लगी है।