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उत्तरी भारत में आगे मौसम गर्म एवं शुष्क रहने की आशंका से रबी फसलों को लेकर चिंता बढ़ी

प्रकाशित 13/02/2024, 08:37 pm
उत्तरी भारत में आगे मौसम गर्म एवं शुष्क रहने की आशंका से रबी फसलों को लेकर चिंता बढ़ी

iGrain India - नई दिल्ली । रबी फसलों की बिजाई प्रक्रिया लगभग समाप्त होने के बाद अब सबका ध्यान फरवरी तथा मार्च के मौसम पर केन्द्रित है क्योंकि उसके आधार पर ही उपज दर एवं पैदावार निर्भर करेगी।

अब तक का मौसम कुल मिलाकर रबी फसलों के लिए संतोषजनक रहा है। लेकिन आगामी सप्ताहों के दौरान इसमें कुछ बिगाड़ आने की आशंका है जिससे फसलों के प्रति चिंता बढ़ सकती है। 

रबी सीजन की प्रमुख फसलों में गेहूं, चना, सरसों, मसूर, मटर, जौ तथा मक्का आदि शामिल हैं। इन फसलों के संतोषजनक उत्पादन के लिए अगले कुछ सप्ताहों तक मौसम एवं शीत कालीन वर्षा का अनुकूल रहना आवश्यक है।

जनवरी के अंतिम एवं फरवरी के प्रथम सप्ताह के दौरान देश के कुछ राज्यों में हुई बारिश से रबी फसलों और खासकर गेहूं की फसल को काफी राहत मिली। गेहूं एवं सरसों का रकबा बढ़कर नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा और मसूर-मटर तथा मक्का-जौ की बिजाई भी बढ़ी। लेकिन चना एवं मूंग के क्षेत्रफल में गिरावट आ गई। मूंगफली का बिजाई क्षेत्र भी कुछ पीछे रह गया। 

दिसम्बर 2023 के दौरान पंजाब-हरियाणा में मौसम शुष्क रहा जबकि जनवरी माह के दौरान देश के पश्चिमोत्तर, मध्यवर्ती एवं पूर्वी भाग में बारिश का भारी अभाव देखा गया। राहत की बात यह रही कि जनवरी में मौसम काफी ठंडा रहा जिससे नमी सूखने की गति मंद पड़ गई।

समझा जाता है कि अल नीनो मौसम चक्र का प्रभाव अप्रैल तक बरकरार रह सकता है। इस बीच मौसम विभाग ने फरवरी का महीना गर्म रहने का अनुमान लगाया है।

इससे गेहूं की फसल के लिए खतरा बढ़ सकता है। यदि मार्च में भी मौसम गर्म एवं शुष्क बना रहा तो रबी फसलों को नुकसान हो सकता है लेकिन अगर बीच-बीच में एक-दो बौछार पड़ गई तो शानदार उत्पादन की उम्मीद बढ़ जाएगी।  

वर्ष 2022 के साथ-साथ 2023 के दौरान भी रबी फसलों को गर्म हवा की तेज लहर (हीट वेव) का सामना करना पड़ा था जिससे उत्पादन में गिरावट आ गई। यदि इस वर्ष भी हीट वेव का प्रकोप रहा तो गेहूं की पैदावार में बढ़ोत्तरी मुश्किल हो जाएगी।

वैसे अभी हालत चिंताजनक स्तर पर नहीं पहुंची है। सरकार ने इस बार 1140 लाख टन गेहूं के घरेलू उत्पादन का लक्ष्य नियत किया है। इस बार गेहूं की ऐसी किस्मों की खेती ज्यादा क्षेत्रफल में हुई है जिसमें शुष्क एवं गर्म मौसम को पहले की क्षमता अधिक है।

सरसों की फसल आमतौर पर अच्छी हालत में हैं और कई क्षेत्रों में इसके नए माल की आवक शुरू हो चुकी है। कहीं-कहीं नया चना भी आने लगा है। अगले महीने से इसकी आपूर्ति जोर पकड़ने लगेगी जबकि गेहूं की जोरदार आवक अप्रैल में आरंभ होगी।  

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