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अपनी मांगों के समर्थन में दिल्ली की ओर बढ़ते किसानों को विभिन्न जगहों पर रोकने का प्रयास

प्रकाशित 14/02/2024, 12:15 am
अपनी मांगों के समर्थन में दिल्ली की ओर बढ़ते किसानों को विभिन्न जगहों पर रोकने का प्रयास

iGrain India - नई दिल्ली । किसान आंदोलन का दूसरा अध्याय शुरू हो चुका है। हालांकि केन्द्र सरकार का दावा है कि किसान आंदोलन को समाप्त करवाने के लिए तीन मंत्रियों- अर्जुन मुंडा, पीयूष गोयल एवं नित्यानंद राय को किसानों से बातचीत करने के लिए भेजा गया और किसानों की कुल 13 मांगों में से 10 मांगों को स्वीकार भी कर लिया गया लेकिन तीन मांगों पर सहमति नहीं बन सकी है। स्वयं कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा ने चंडीगढ़ जाकर किसान नेताओं से बातचीत की थी लेकिन इस बातचीत का कोई सार्थक परिणाम नहीं निकला। 

पंजाब, हरियाणा तथा पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान आज यानी 13 फरवरी को दिल्ली की ओर कूच कर रहे हैं जबकि प्रांतीय सरकारें इसे रोकने की कोशिश कर रही हैं। हरियाणा और दिल्ली की सीमा पर कई चरणों में अवरोध खड़े किए गए हैं।

हरियाणा के तीन जिलों में धारा 144 लागू की गई है जबकि 7 जिलों में इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई है। शंभू बॉर्डर पर हड़ताली किसानों एवं पुलिस प्रशासन के बीच टकराव की स्थिति बनी हुई है। किसानों के समूह पर पानी की बौछार की जा रही है और आंशु गैस के गोले छोड़े जा रहे है किसानों ने भी पुलिस की बेरिकेडिंग तोड़ दी है। 

हरियाणा और दिल्ली पुलिस ने किसानों को रोकने के लिए व्यापक प्रबंध किए हैं। पंजाब और हरियाणा तथा हरियाणा और दिल्ली की सीमाएं सील कर दी गई हैं ताकि आंदोलन किसान दिल्ली की सीमा में प्रवेश न कर सके।

पिछली बार जब आंदोलन हुआ था तब किसानों की मुख्य मांग यह थी कि तीनों कृषि कानूनों को वापस लिया जाए। लम्बी जद्दोजहद के बाद अंततः प्रधानमंत्री ने इस कानूनों को स्थगित करने की घोषणा की थी।

इसके विपरीत इस बार किसान अनेक मांगों के समर्थन में आंदोलन कर रहे हैं। किसान संगठनों का कहना है कि कृषक समुदाय की वित्तीय हालत सुधारने के लिए सरकार को इन मांगों को स्वीकार करना चाहिए।

किसानों के इस 'दिल्ली चलो' मार्च में कुछ महत्वपूर्ण किसान नेता शामिल नहीं हो रहे हैं मगर फिर भी इसका जत्था काफी बड़ा है। भारतीय किसान यूनियन का एक खेमा तथा किसान मजदूर मोचा इस आंदोलन का मुख्य कर्ताधर्ता है जबकि उसे 17 अन्य किसान संगठनों का समर्थन भी प्राप्त है। 16 फरवरी को भारत बंद का आह्वान किया गया है।

कुछ किसान संगठन अभी इंतजार करो और देखो की नीति अपना रहे हैं। आंदोलनकारी किसानों की सबसे प्रमुख मांग न्यूनतम सर्मथन मूल्य (एमएसपी) की वैधानिक गांरटी सुनिश्चित करने से सम्बन्धित है।

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