iGrain India - नई दिल्ली । पिछले साल की तुलना में चालू रबी सीजन के दौरान चना के बिजाई क्षेत्र में करीब 6 लाख हेक्टेयर की गिरावट आई है। इसके अलावा मध्य प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र एवं कर्नाटक जैसे प्रमुख उत्पादक प्रांतों में लगभग 80 प्रतिशत बिजाई क्षेत्र में चना की फसल को नमी के अभाव का सामना करना पड़ रहा है। इससे उत्पादन प्रभावित होने की आशंका है।
केन्द्र सरकार ने 2022-23 सीजन के लिए पहले 135 लाख टन चना के उत्पादन का अनुमान लगाया था जिसे बाद में घटाकर 123 लाख टन नियत कर दिया।
लेकिन यह संशोधित आंकड़ा भी वास्तविक उत्पादन की तुलना में कम से कम 10 प्रतिशत ऊंचा प्रतीत होता है क्योंकि घरेलू बाजार में इसकी आपूर्ति एवं उपलब्धता इस उत्पादन आंकड़े के अनुरूप नहीं रही।
चालू रबी सीजन (2023-24) के लिए कृषि मंत्रालय ने 136 लाख टन चना के रिकॉर्ड उत्पादन का महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है जबकि बिजाई क्षेत्र में गिरावट एवं मौसम की हालत को देखते हुए यह लक्ष्य बहुत ऊंचा मालूम पड़ता है।
अधिकांश विश्लेषकों का मानना है कि 2023-24 सीजन के दौरान चना का वास्तविक घरेलू उत्पादन न केवल नियत लक्ष्य से बल्कि 2022-23 के सीजन से भी काफी कम होगा। समीक्षकों के अनुसार चालू सीजन के दौरान अगर चना का उत्पादन 100-105 लाख टन तक भी पहुंच जाए तो बड़ी बात होगी।
हालांकि जनवरी के अंत एवं फरवरी के आरंभ में पश्चिमी विक्षोभ की सक्रियता के कारण कुछ राज्यों में बारिश हुई मगर महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, कर्नाटक एवं गुजरात जैसे राज्यों का अधिकांश भाग इस वर्षा से वंचित रह गया।
कुछ इलाकों में नए चने की आवक आरंभ हो गई है और इसका दाम अपेक्षाकृत मजबूत बना हुआ है। केन्द्रीय एजेंसी- नैफेड के पास अभी चना का अच्छा खासा स्टॉक मौजूद है।
नैफेड घरेलू बाजार में अपने स्टॉक की नियमित बिक्री भी कर रहा है साथ ही साथ अगली फसल की खरीद की तैयारी भी कर रहा है। सरकार ने चना का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाकर 5440 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया है।