iGrain India - नई दिल्ली । रबी सीजन की सबसे प्रमुख तिलहन फसल- सरसों का बिजाई क्षेत्र इस बार उछलकर 100.40 लाख हेक्टेयर के सर्वकालीन सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गया है जिससे इसके शानदार उत्पादन की उम्मीद व्यक्त की जा रही है लेकिन कुछ प्रमुख उत्पादक इलाकों में नवम्बर के बाद से अच्छी बारिश नही होने के कारण इसका कुल उत्पादन सरकार द्वारा निर्धारित लक्ष्य तक पहुंचना मुश्किल लगता है।
केन्द्रीय कृषि मंत्रालय ने 2023-24 के वर्तमान रबी सीजन के लिए 131 लाख टन सरसों के रिकॉर्ड उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया है जबकि फसल की मौजूदा स्थिति को देखते हुए लगता है कि वास्तविक उत्पादन 115-120 लाख टन के आसपास ही पहुंच सकेगा। यह आंकड़ा 2022-23 सीजन की तुलना में कुछ बेहतर है।
प्रमुख उत्पादक राज्यों की महत्वपूर्ण मंडियों में सरसों का भाव सरकारी समर्थन मूल्य से नीचे चल रहा है। कुछ इलाकों में नई फसल की कटाई-तैयारी आरंभ हो गई है।
सामान्य तौर पर फरवरी माह के दौरान घरेलू मंडियों में 5-6 लाख टन नई सरसों की आवक हो जाती है जबकि मार्च से मई के बीच इसकी मासिक आपूर्ति 10 लाख टन से ऊपर रहती है।
मई तक फसल की कटाई-तैयारी भी पूरी हो जाती है। इस बार उत्तर प्रदेश में सरसों की खेती का नया रिकॉर्ड बना है मगर कहीं-कहीं फसल कमजोर बताई जा रही है क्योंकि वहां नमी का अभाव रहा है।
अगले कुछ सप्ताहों का मौसम उत्तर प्रदेश के साथ-साथ राजस्थान, मध्य प्रदेश, हरियाणा, गुजरात एवं बंगाल जैसे राज्यों में भी सरसों की फसल के लिए काफी महत्वपूर्ण साबित होगा।
जनवरी के ठंडे मौसम से सरसों की फसल को काफी राहत मिली मगर घने कोहरे के प्रकोप से कुछ क्षेत्रों में फसल का अपेक्षित विकास नहीं हो पाया और वहां उपज दर तथा तेल की रिकवरी दर में कमी आ सकती है।
सरसों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 2022-23 सीजन के 5450 रुपए प्रति क्विंटल से 200 रुपए बढ़कर 2023-24 सीजन के लिए 5650 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है जबकि थोक मंडी भाव 5000 रुपए प्रति क्विंटल के आसपास ही चल रहा है।
नई सरसों की कीमत भी नीचे है। नैफेड द्वारा इस बार विशाल मात्रा में किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सरसों की खरीद का प्लान बनाया गया है और इसकी आवश्यक तैयारी भी की जा रही है।