iGrain India - नई दिल्ली । हालांकि राष्ट्रीय स्तर पर रबी कालीन मक्का के बिजाई क्षेत्र में ज्यादा बदलाव नहीं माना है और यह 23 लाख हेक्टेयर के करीब ही स्थिर रहा है लेकिन कुछ इलाकों में फसल को नमी के अभाव का सामना करना पड़ रहा है।
इसके बावजूद मक्का का घरेलू उत्पादन बेहतर होने की उम्मीद की जा रही है क्योंकि आमतौर पर फसल की हालत संतोषजनक है। आधिकारिक रूप से 2023-24 के वर्तमान रबी सीजन में 97 लाख टन मक्का के उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है और मौजूदा स्थिति को देखते हुए इसका वास्तविक उत्पादन 92 से 95 लाख टन को बीच आंका जा रहा है।
इसमें मौसम की आगामी स्थिति के आधार पर रूल संशोधन- परिवर्तन हो सकता है। मक्का की घरेलू मांग एवं खपत लगातार बढ़ती जा रही है जिससे इसका भाव ऊंचा और मजबूत हो गया है।
खाद्य उद्देश्य के अलावा अब तक पशु आहार एवं पॉल्ट्री फीड तथा स्टार्च निर्माण उद्योग में मक्का की खपत होती थी जबकि अब एथनॉल निर्माण में भी इसका उपयोग जो पकड़ने लगा है।
एथनॉल निर्माण में गन्ना की सीमित मात्रा के उपयोग की अनुमती दिए जाने का कारण निर्माताओं को मक्का की खपत होती थी जबकि अब एथनॉल निर्माण में भी इसका उपयोग जोर पकड़ने लगा है।
एथनॉल निर्माण में गन्ना की सीमित मात्रा के उपयोग की अनुमति दिए जाने के कारण निर्माताओं को मक्का का इस्तेमाल बढ़ाने के लिए विवश होना पड़ रहा है।
घरेलू प्रभाग में उपयोग तथा दाम बढ़ने से मक्का का निर्यात प्रदर्शन कमजोर पड़ गया है। ऐसा प्रतीत होता है कि एथनॉल मिश्रण लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए इस वर्ष विदेशों से मक्का के आयात की जरूरत पड़ सकती है।
मक्का का अधिकांश उत्पादन खरीफ सीजन में होता है लेकिन रबी सीजन के दौरान भी बिहार समेत कुछ अन्य राज्यों में इसकी अच्छी पैदावार होती है। रबी सीजन में जौ का उत्पादन बड़े पैमाने पर होता है क्योंकि यह इस सीजन की खास फसल है। इसके अलावा इस सीजन में ज्वार की भी अच्छी खेती होती है। मोटे अनाजों का कुल रकबा गत वर्ष से कुछ अधिक रहा।