iGrain India - नई दिल्ली । यद्यपि परम्परागत रूप से ईरान भारतीय बासमती चावल का सबसे प्रमुख आयातक देश रहा है मगर वर्ष 2023 में वह सऊदी अरब से बिछड़कर दूसरे नम्बर पर आ गया जबकि इराक तीसरे स्थान पर बरकरार रहा।
उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार सऊदी अरब में भारत से वर्ष 2022 के दौरान 8,61,453 टन बासमती चावल का निर्यात हुआ था जो वर्ष 2023 में 17.4 प्रतिशत बढ़कर 10.10 लाख टन पर पहुंच गया।
दूसरी ओर ईरान में इसी अवधि के दौरान भारतीय बासमती चावल का निर्यात 11.45 लाख टन से 36.4 प्रतिशत घटकर 7,28,462 टन पर सिमट गया। इराक में इसका निर्यात करीब दोगुना बढ़ गया।
वहां भारत से 2022 में महज 3,33,752 टन बासमती चावल का आयात हुआ था जो 2023 में 98.2 प्रतिशत की जबरदस्त बढ़ोत्तरी के साथ 6,61,600 टन पर पहुंच गया।
व्यापार विश्लेषकों के अनुसार ईरान के साथ भुगतान संकट का मामला बना रहता है। इसके अलावा ईरान में सरकारी स्तर पर भी पिछले कुछ महीनों से बासमती चावल का स्टॉक नहीं किया जा रहा है।
इसे देखते हुए भारतीय निर्यातक ईरान के साथ बासमती चावल का निर्यात अनुबंध करने में कम दिलचस्पी दिखा रहे हैं। निर्यातकों को सऊदी अरब तथा इराक सहित कई अन्य देशों में बासमती चावल का शिपमेंट बढ़ाने में अच्छी सफलता मिल रही है इसलिए ईरान में कमजोर निर्यात प्रदर्शन का कोई खास असर नहीं पड़ रहा है।
वर्ष 2023 की पूरी अवधि (जनवरी-दिसम्बर) के दौरान भारत से बासमती चावल का निर्यात बढ़कर 49 लाख टन पर पहुंच गया जो वर्ष 2020 के रिकॉर्ड शिपमेंट 49.90 लाख टन के बाद दूसरा सबसे ऊंचा स्तर था।
समीक्षको के मुताबिक ईरान भारतीय बासमती चावल का प्रमुख खरीदार रहा है मगर वित्तीय मुद्दों के कारण वहां अभी निर्यात प्रदर्शन कमजोर पड़ गया है।
जब ये मामले सुलझ जाएंगे तब वहां बासमती चावल का निर्यात सामान्य ढंग से होने लगेगा और इसकी मात्रा भी मौजूदा स्तर की तुलना में 5-6 लाख टन तक बढ़ जाएगा। भारतीय बासमती चावल का निर्यात ऑफर मूल्य मजबूत बना हुआ है और निकट भविष्य में इसमें ज्यादा कमी आने की संभावना नहीं है।
लेकिन घरेलू बाजार में बासमती धान एवं चावल का भाव ठंडा पड़ गया है। पिछले माह देश से जबरदस्त निर्यात के कारण चावल का दाम उछल गया था मगर अब निर्यात की गति कुछ सुस्त हो गई है।
सेला बासमती चावल का वार्षिक उत्पादन होता है जिसमें से 45-50 लाख टन का निर्यात किया जाता है तथा 20 लाख टन टुकड़ी (ब्रोकन) चावल रहता है। शेष बासमती चावल की घरेलू खपत होती है जबकि इसका थोड़ा बहुत बकाया स्टॉक भी रखा जाता है।