iGrain India - नई दिल्ली । चालू माह के आरंभ में भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के पास 343 लाख टन खाद्यान्न का स्टॉक उपलब्ध था जिसमें 210 लाख टन से कुछ अधिक चावल तथा 132 लाख टन से कुछ ज्यादा गेहूं की मात्रा शामिल थी।
जनवरी के आरंभ में गेहूं का स्टॉक 154 लाख टन रहा था। इस तरह गेहूं का स्टॉक 1 फरवरी 2023 के मुकाबले 14 प्रतिशत तथा 1 जनवरी 2024 की तुलना में 19 प्रतिशत घट गया।
विश्लेषकों के अनुसार केन्द्रीय पूल में अनेक कारणों से गेहूं के स्टॉक में भारी गिरावट रही है जिसमें खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस), मुफ्त खाद्यान्न वितरण स्कीम तथा भारत आटा की बिक्री की योजना आदि शामिल है।
ओएमएसएस के तहत सरकार ने 101 लाख टन गेहूं बेचने का प्लान बनाया है जिसमें से 80 लाख टन की बिक्री 7 फरवरी 2024 तक हो चुकी थी। 28 जून 2023 से इस योजना के तहत गेहूं की साप्ताहिक नीलामी शुरू हुई थी। 2022-23 में 33 लाख टन गेहूं बेचा गया था।
केन्द्रीय पूल में गेहूं का स्टॉक घटकर गत 7 वर्षों के निचले स्तर पर आ गया है लेकिन फिर भी न्यूनतम आवश्यक बफर मात्रा से ज्यादा है। 1 जनवरी को कम से कम 108 लाख टन गेहूं का बफर स्टॉक मौजूद रहना आवश्यक है।
गेहूं की सरकारी खरीद आमतौर पर 1 अप्रैल से शुरू होती है जबकि इस बार कुछ राज्य में मार्च से ही आरंभ करने का निर्णय लिया गया है। गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) भी 2022-23 सीजन के 2125 रुपए प्रति क्विंटल से 150 रुपए बढ़ाकर 2023-24 के सीजन हेतु 2275 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है। सरकार ने इस बार 1140 लाख टन गेहूं के उत्पादन का लक्ष्य नियत किया है। कृषि मंत्रालय के अनुसार 2022-23 के सीजन में 1105 लाख टन गेहूं का उत्पादन हुआ था।
कुछ राज्यों में गेहूं की फसल अच्छी हालत में है जिससे वहां बेहतर उत्पादन की उम्मीद की जा रही है। लेकिन वहां अगले कुछ सप्ताहों का मौसम अनुकूल रहना आवश्यक है।
31 मार्च 2024 तक गेहूं पर भंडारण सीमा का आदेश लागू है इसलिए व्यापारी तथा मिलर्स-प्रोसेसर्स की खरीद सीमित रहेगी। यदि भंडारण सीमा की अवधि आगे नहीं बढ़ाई जाती है तो गेहूं का बाजार भाव मजबूत रह सकता है लेकिन अगर भंडारण सीमा अप्रैल-मई में भी बरकरार रही तो हाजिर बाजार में इसका स्टॉक काफी घट सकता है। उम्मीद की जा रही है कि मार्च के अंत में स्टॉक सीमा को समाप्त किया जा सकता है।