iGrain India - नई दिल्ली । भारत सरकार चावल की कुछ खास किस्मों के लिए कारोबारी गतिविधियों के वास्ते नए टैरिफ कोड (एचएसएन कोड) के विकास पर काम कर रही है ताकि उन किस्मों के चावल के निर्यात को प्रोत्साहित किया जा सके जिसकी घरेलू खपत परम्परागत रूप से कम होती है। उल्लेखनीय है कि वर्तमान समय में गैर बासमती संवर्ग के सभी किस्मों एवं श्रेणियों के सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा हुआ है।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार केन्द्रीय वाणिज्य मंत्रालय का अधीनस्थ निकाय- कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) चावल की ऐसी किस्मों के लिए अलग एचएसएन कोड नियत करने पर काम कर रहा है जिसे भौगोलिक संकेतक (जीआई) का टैग प्राप्त है। इसमें रेड राइस, ब्लैक राइस तथा काला नमक राइस आदि शामिल हैं।
एपीडा का कहना है कि इन किस्मों के चावल की घरेलू खपत बहुत कम होती है जबकि वैश्विक बाजार में इसकी अच्छी मांग बनी रहती है इसलिए निर्यात प्रतिबंध के दायरे से इस चावल को बाहर रखा जा सकता है।
निर्यात बढ़ने पर इसके घरेलू उत्पादन में बढ़ोत्तरी होगी और उत्पादकों को बेहतर आमदनी प्राप्त हो सकती है।
और बासमती चावल की 40-50 किस्में होतीं हैं और जब सरकार गैर बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा करती है तब उसमें सभी किस्में शामिल हो जाती हैं।
इसमें सोना मसूरी, गोविन्द भोग तथा कला नमक चावल की सम्मिलित हैं। सामान्य सफेद चावल के मामले में भी ऐसा ही होता है। इससे चावल की ऐसी किस्मों का निर्यात भी प्रभावित होता है जिसकी घरेलू खपत कम होती है।
वाणिज्य मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव का कहना है कि चावल की कुछ अन्य किस्मों के लिए नए एचएसएन कोड का निर्माण करने की मांग उद्योग द्वारा की गई है और सभी सम्बद्ध पक्षों से विस्तृत विचार-विमर्श करने के बाद इस पर आवश्यक निर्णय लिया जाएगा।
वाणिज्य मंत्रालय यह देखने का प्रयास कर रहा है कि चावल की विभिन्न किस्मों एवं श्रेणियों के लिए अलग-अलग एचएसएन कोड का निर्माण करना लाभदायक अथवा उपयोगी होगा या नहीं।
एक देश के तौर पर सरकार चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाना पसंद नहीं करेगी जबकि दूसरी ओर यह देखना आवश्यक है कि किसानों को अधिक से अधिक मात्रा में चावल के उत्पादन के लिए पर्याप्त प्रोत्साहन भी प्राप्त हो सके।