iGrain India - चेन्नई । घरेलू उत्पादन में गिरावट आने तथा बाजार भाव ऊंचा एवं तेज रहने से देश में उड़द का आयात नियमित रूप से जारी है और आगे भी बरकरार रहेगा। खरीफ कालीन फसल कमजोर रही थी और खासकर अगस्त के भयंकर सूखे से इसे काफी क्षति हुई थी।
रबी सीजन में पहले इसका बिजाई क्षेत्र काफी पिछड़ रहा था लेकिन बाद में यह सामान्य स्तर पर पहुंच गया। रबी सीजन में उड़द का उत्पादन मुख्यत: दक्षिणी राज्यों में होता है।
प्राप्त आंकड़ों के अनुसार चालू वित्त वर्ष के शुरूआती 10 महीनों में यानी अप्रैल 2023 से जनवरी 2024 के दौरान देश में 5.05 लाख टन उड़द का आयात किया गया जो वित्त वर्ष 2022-23 के इन्हीं महीनों के आयात 4.47 लाख टन से ज्यादा लेकिन 2021-22 की समान अवधि के आयात 5.09 लाख टन से कुछ कम रहा।
उड़द का आयात अप्रैल 2023 में 25 हजार टन, मई में 32 हजार टन, जून में 41 हजार टन, जुलाई में 34 हजार टन, अगस्त में 49 हजार टन, सितम्बर में 60 हजार टन, अक्टूबर में 81 हजार टन तथा नवम्बर में 80 हजार टन दर्ज किया गया जबकि दिसम्बर 2023 में 50 हजार टन तथा जनवरी 2024 में 54 हजार टन होने का अनुमान है।
वित्त वर्ष 2022-23 की सम्पूर्ण अवधि (अप्रैल-मार्च) के दौरान देश में कुल मिलाकर करीब 5.25 लाख टन उड़द का आयात हुआ था जबकि इसकी मात्रा 2021-22 में करीब 6.12 लाख टन, 2020-21 में 3.45 लाख टन तथा 2019-20 में 3.12 लाख टन रही थी। तुवर की भांति सरकार ने उड़द के भी शुल्क मुक्त आयात की अनुमति दे रखी है।
भारत में इस महत्वपूर्ण दलहन का आयात मुख्यत: म्यांमार से होता है। देश में उड़द का उत्पादन घरेलू मांग एवं खपत से कम होता है इसलिए इसके आयात की आवश्यकता बनी रहती है। रबी कालीन उड़द की नई फसल की कटाई-तैयारी अगले महीने से शुरू होने की संभावना है।