iGrain India - नई दिल्ली । पंजाब और हरियाणा के किसान धान और गेहूं की खेती से चिपके हुए हैं और इसलिए अन्य फसलों के नुकसान पर ज्यादा ध्यान नहीं दे रहे हैं।
हालांकि सरकार 22-23 फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) निर्धारित करती है लेकिन इस पर नियमित खरीद केवल गेहूं एवं धान की ही करती हैं। इससे किसानों को अन्य फसलों की खेती का प्रोत्साहन नहीं मिल पता है।
उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2004-05 से 2013-14 के दौरान सरकारी एजेंसियों द्वारा 975 लाख टन गेहूं खरीदा गया जिस पर 98,988.57 करोड़ रुपए खर्च हुए। इसी अवधि में 1,17,622.15 करोड़ रुपए मूल्य के 1263.20 लाख टन धान भी खरीदा गया।
इसके मुकाबले 2014-15 से 2023-24 सीजन के दौरान गेहूं की खरीद 20.6 प्रतिशत बढ़कर 1176 लाख टन और इस पर होने वाला खर्च 110.2 प्रतिशत उछलकर 2,08,112.97 करोड़ रुपए पर पहुंच गया। जहां तक धान का सवाल है तो समीक्षाधीन अवधि के दौरान इसकी खरीद 33.5 प्रतिशत बढ़कर 1686.30 लाख टन तथा इस पर खर्च होने वाली राशि 157.2 प्रतिशत उछलकर 3,02,550.19 करोड़ रुपए पर पहुंच गई। यह आंकड़ा सिर्फ पंजाब का है।
जहां तक हरियाणा की बात है तो वहां गेहूं की खरीद 2004-05 से 2013-14 के दौरान 552.20 लाख टन हुई थी जो 2014-15 से 2023-24 के दौरान 30.2 प्रतिशत बढ़कर 719.10 लाख टन पर पहुंच गई।
इस पर खर्च होने वाली राशि की समीक्षाधीन अवधि में 57432.26 करोड़ रुपए से 120 प्रतिशत उछलकर 1,26,492.50 करोड़ रुपए पर पहुंच गई। इसी तरह वहां धान की सरकारी खरीद 283.80 लाख टन से बढ़कर 539 लाख टन और खर्च होने वाली राशि 27,354.53 करोड़ रुपए से उछलकर 96,869.89 करोड़ पर रुपए पहुंच गई।
उपरोक्त आंकड़ों से स्पष्ट संकेत मिलता है कि इन दोनों राज्यों के किसानों को धान एवं गेहूं की खेती से शानदार आमदनी प्राप्त होती रही है। दूसरी ओर अन्य फसलों पर ध्यान दिया जाए तो पता चलता है कि दलहन, तिलहन एवं कपास की सरकारी खरीद अनियमित रही है और किसानों को अपने उत्पाद का लाभप्रद मूल्य प्राप्त नहीं हुआ।
बेशक सरकार ने 20 लाख टन दलहनों का बफर स्टॉक बनाने का निर्णय लिया है लेकिन तिलहन, कपास एवं मोटे अनाजों के लिए ऐसा कोई फैसला नहीं किया है।
केन्द्रीय पूल के लिए चावल और गेहूं की विशाल मात्रा की खरीद करना सरकार की विवशता है मगर अन्य फसलों के मामले में ऐसा नहीं है। पंजाब-हरियाणा में फसल विविधिकरण के लिए सरकार को भारी मशक्कत करनी पड़ेगी।