iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्रीय कृषि मंत्रालय ने दलहनों के उत्पादन में देश की पूर्ण आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करने के लिए पब्लिक-प्राईवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मोड़ के तहत एक कार्य योजना तैयार की है जिसे अगले खरीफ सीजन से क्रियान्वित किया जा सकता है।
केन्द्रीय कृषि मंत्री के अनुसार वर्ष 2027 तक उड़द एवं तुवर के उत्पादन में आत्मनिर्भर का लक्ष्य हासिल करने के लिए एक विस्तृत रोड मैप तैयार किया गया है। इसके तहत किसानों को दलहनों की उच्च उपज दर वाली किस्मों का बीज प्रदान किया जाएगा। ऐसे बीजों की खेती बड़े बड़े पैमाने पर शुरू करने की योजना है।
जीपीपी नैफेड द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित ग्लोबल कांफ्रेंस- पल्सेस 24 के उद्घाटन पत्र को सम्बोधित करते हुए कृषि मंत्री ने कहा कि जो कार्य योजना बनाई गई है। इसे प्राइवेट प्रतियों के सहयोग से चालू किया जाएगा। ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि भारत जल्दी से जल्दी दाल-दलहन के मामले में आत्मनिर्भर हो जाए।
पिछले 10 वर्षों के दौरान दलहन उत्पादन संवर्धन के लिए सरकार द्वारा किए गए प्रयासों की चर्चा करते हुए कृषि मंत्री ने कहा कि इन प्रयासों के कारण देश में दलहनों का उत्पादन वर्ष 2015-16 के 163.20 लाख टन से उछलकर 2022-23 में 270 लाख टन के करीब पहुंच गया।
आगामी खरीफ सीजन में विशाल क्षेत्र में नए बीजों एवं नई तकनीक का उपयोग बड़े पैमाने पर आरंभ करने की व्यवस्था की जा रही है। इससे किसानों को नई किस्मों के बीजों के साथ-साथ खेती की विधियों के बारे में जानकारी प्राप्त करने और तदनुरूप दलहनों का उत्पादन बढ़ाने में सहायता मिलेगी।
दरअसल प्राइवेट क्षेत्र में दलहनों की अच्छी किस्मों का विकास हो रहा है जिसमें उच्च प्रोटीन अंश वाला चना भी शामिल है। इसके अलावा मौसम (जलवायु) की प्रतिकूल स्थिति को लम्बे समय तक सहन करने वाली प्रजातियों के दलहनों की खेती का दायरा भी बढ़ाने का प्रयास किया जाएगा।