iGrain India - नई दिल्ली । शीत कालीन वर्षा का अभाव होने तथा तापमान बढ़ने से देश के 150 प्रमुख बांधों - जलाशयों में पानी का भंडार लगातार घटता जा रहा है जिससे न केवल मौजूदा रबी फसलों की सिंचाई में कठिनाई हो रही है बल्कि आगामी ग्रीष्मकालीन (जायद) फसलों की खेती पर भी संकट उत्पन्न हो सकता है।
केन्द्रीय जल आयोग के नवीनतम आंकड़ों से पता चलता है कि भारत के 150 प्रमुख जलाशयों में पानी का भंडार उसकी कुल भंडारण क्षमता के सापेक्ष लगातार 19 वें सप्ताह भी घट गया और 50 प्रतिशत से अधिक जलाशयों में यह घटकर आधे से भी कम रह गया है। इससे भी अधिक चिंताजनक बात यह है कि एक तिहाई से अधिक जलाशयों में 40 प्रतिशत से भी कम पानी बचा हुआ है।
आयोग की साप्ताहिक बुलेटिन के अनुसार 54 जलाशयों में 40 प्रतिशत से कम तथा अन्य 23 जलाशयों में 50 प्रतिशत से कम पानी का भंडार बचा हुआ है 14 जलाशयों में भंडारण क्षमता के अनुरूप पानी का स्टॉक मौजूद है मगर 2 जलाशय सूख गए हैं जबकि 5 अन्य जलाशयों में 10 प्रतिशत से कम पानी मौजूद है।
आयोग के मुताबिक इन 150 प्रमुख जलाशयों में कुल 178.784 बिलियन क्यूबिक मीटर (बीसीएम) पानी के भंडारण की क्षमता है जबकि उसमें केवल 84.32 बीसीएम या 47 प्रतिशत पानी का भंडार उपलब्ध है। पिछले सप्ताह उसमें 49 प्रतिशत पानी का स्टॉक था। पिछले पिछले साल की समान अवधि में इसका स्तर 82 प्रतिशत दर्ज किया गया था।
समीक्षकों का कहना है कि पानी की कमी से जायद फसलों के लिए गंभीर खतरा उत्पन्न हो सकता है। इसी तरह दक्षिण भारत में रबी कालीन धान एवं दलहन फसलों के लिए समस्या बढ़ गई है।
जायद फसलों की खेती जल्दी ही आरंभ होने वाली है लेकिन वर्षा की कमी एवं ऊंचे तापमान के कारण खेतों में नमी का अभाव होने से किसानों को इसकी बिजाई में भारी दिक्कत हो सकती है और फसलों की सिंचाई के लिए बांधों- जलाशयों से नहरों के जरिए पानी मिलना भी मुश्किल हो जाएगा। रबी और खरीफ सीजन के बीच जायद फसलों की खेती होती है जिससे दलहन, तिलहन एवं धान मुख्य रूप से शामिल है।
मौसम विभाग के अनुसार देश के 712 जिलों में से 69 प्रतिशत जिले ऐसे हैं जहां वर्षा या तो कम या बहुत कम हुई है और इसमें से कई जिलों में इस वर्ष बारिश बिल्कुल नहीं हुई है। देश के 12 राज्यों में पिछले डेढ़ महीने के दौरान सामान्य स्तर से कम पानी का स्टॉक दर्ज किया गया।