iGrain India - मुम्बई । हालांकि समूचे भारत में सर्दी का मौसम अब अंतिम चरण में पहुंच गया है और तापमान धीरे-धीरे बढ़ने लगा है लेकिन फिर भी चीनी की मांग एवं कीमत में तेजी आने के संकेत नहीं मिल रहे हैं।
व्यापार विश्लेषकों के अनुसार मार्च के अंत तक चीनी का घरेलू बाजार भाव वर्तमान स्तर पर रह सकता है या इसमें कुछ और नरमी आ सकती है। देश में चीनी का पर्याप्त स्टॉक उपलब्ध है और इसका उत्पादन भी पूर्व अनुमान से अधिक होने की संभावना है।
फिलहाल गुड़ की खपत बढ़ रही है जबकि चीनी की औद्योगिक मांग कुछ कमजोर बनी हुई है। आमतौर पर जाड़े के दिनों में गुड़ की खपत बढ़ जाती है। गुड़ को परम्परागत चीनी का एक स्वास्थ्यवर्धक विकल्प माना जाता है।
एक उद्योग समीक्षक का कहना है कि कमजोर मांग के कारण चीनी का दाम अगले कुछ सप्ताहों तक स्थिर या नरम रह सकता है और खुदरा बाजार में भी निश्चित रूप से 50 रुपए प्रति किलो तक नहीं पहुंच पाएगा।
मुजफ्फर नगर (यूपी) के एक व्यापारी के अनुसार पिछले कुछ महीनों से गुड़ में काफी अच्छी मांग बनी हुई है और उपभोक्ता चीनी के बजाए इसकी खपत पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं।
चीनी और गुड़- दोनों का खुदरा बाजार भाव 40-45 रुपए प्रति किलो के बीच चल रहा है जबकि गुड़ को चीनी से अधिक स्वास्थ्यवर्धक माना जाता है। इसके साथ-साथ गन्ना किसानों को कोल्हुओं पर 400 रुपए प्रति क्विंटल का दाम मिल रहा है जबकि चीनी मिलों में 370 रुपए प्रति क्विंटल का ही मूल्य प्राप्त हो रहा है।
इसके फलस्वरूप किसान चीनी मिलों के बजाए गुड़ निर्माताओं को अपना गन्ना बेचने पर अधिक ध्यान दे रहे हैं क्योंकि यह ज्यादा लाभप्रद होता है।
उधर ऑल इंडिया शुगर ट्रेड एसोसिएशन के चेयरमैन के अनुसार ऐसा कहा जा सकता है कि अभी चीनी बाजार में सीजनल नरमी है। मार्च तक स्थिति ज्यादा बदलने की संभावना नहीं है और अप्रैल से ही चीनी के दाम में कुछ तेजी आ सकती है।
मार्च में चीनी का भाव तभी कुछ सुधर सकता है जबकि मिष्ठान, आइस क्रीम एवं कोल्ड ड्रिंक्स आदि के निर्यात में इसकी मांग बढ़ जाए। इसके अलावा यदि रिसेलर्स के पास पाइप लाइन में स्टॉक घट जाए तब भी चीनी के दाम को कुछ समर्थन मिल सकता है। फिलहाल रिसेलर्स के पास पाइप लाइन में चीनी का पर्याप्त स्टॉक उपलब्ध है।