iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्रीय पूल में उस समय गेहूं का स्टॉक घटकर गत सात साल के निचले स्तर पर आ गया अब वर्ष 2024 का आरंभ हुआ था। लगातार दो सीजन में सरकारी खरीद अपेक्षाकृत काफी कम होने तथा घरेलू मांग बढ़ने से गेहूं के स्टॉक में भारी गिरावट आ गई।
खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत भी इस स्टॉक से विशाल मात्रा में गेहूं बेचा गया और अब भी बेचा जा रहा है। सरकार ने विदेशों से इसके आयात को उदार बनाने के बजाए अपने स्टॉक को खाली करना बेहतर समझा। गेहूं पर 40 प्रतिशत का आयात शुल्क लगा हुआ है। यदि इसे वापस ले लिया जाता तो देश में अच्छी मात्रा में इसका आयात हो सकता था।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार 1 जनवरी 2024 को केन्द्रीय पूल 3163.50 लाख टन गेहूं का स्टॉक मौजूद था जो 1 जनवरी 2023 के स्टॉक 171.70 लाख टन से 8.20 लाख टन कम तथा वर्ष 2017 के बाद सबसे निचला स्तर था।
उस समय केवल 135 लाख टन गेहूं का स्टॉक यह गया था। वैसे 1 जनवरी 2024 का स्टॉक न्यूनतम अनिवार्य बफर मात्रा 138 लाख टन से ज्यादा रहा। इसमें अगले तीन माह की घरेलू खपत के लिए आवश्यक 108 लाख टन तथा रणनीतिक रिजर्व के लिए जरुरी 30 लाख टन का स्टॉक शामिल था।
पिछले साल गेहूं के वैश्विक बाजार मूल्य में 35 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आ गई लेकिन भारत में इसका दाम बढ़ता रहा जबकि यह दुनिया में इस खाद्यान्न का दूसरा सबसे प्रमुख उत्पादक एवं खपत कर्ता देश है।
वर्ष 2023 की अंतिम तिमाही के दौरान भारत में गेहूं के औसत मूल्य में 20 प्रतिशत से अधिक की तेजी आ गई। मई 2022 से ही गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा हुआ है।
समीक्षकों के अनुसार गेहूं के वास्तविक उत्पादन तथा सरकारी अनुमान में भारी अंतर होने से दाम तेज रहा। शुरूआती चरण में कृषि मंत्रालय ने 1127.40 लाख टन गेहूं के रिकॉर्ड उत्पादन का अनुमान लगाया था जबकि उद्योग-व्यापार क्षेत्र ने इसका वास्तविक उत्पादन काफी कम होने की संभावना व्यक्त की।
गेहूं की सरकारी खरीद भी 262 लाख टन तक ही पहुंच सकी जो 341.40 लाख टन के नियत लक्ष्य से काफी कम रही। अब सरकार ने अगले महीने से गेहूं खरीदने का प्लान बनाया है। यदि इस बार अच्छी खरीद हुई तो हालत सामान्य रह सकती है अन्यथा गंभीर समस्या पैदा होने की आशंका बनी रहेगी।