iGrain India - मुम्बई । चालू माह के दौरान भारत से रूई का निर्यात सुधरकर गत दो वर्ष के ऊंचे स्तर पर पहुंच जाने की उम्मीद है। व्यापार विश्लेषकों के अनुसार वैश्विक बाजार में हाल के दिनों में मई का भाव तेज हुआ है जिससे विदेशी आयातकों के लिए भारतीय लगातार आकर्षक होता जा रहा है।
एशियाई देशों में भारतीय रूई की मांग बढ़ने लगी है। जो देश पहले ब्राजील और अमरीका से रूई मंगा रहे थे वे अब भारत से आयात कर रहे हैं।
न्यूयार्क कॉटन एक्सचेंज में बेंचमार्क रूई के वायदा मूल्य में हालिया तेजी आने से पूर्व भारत को रूई का निर्यात करने में भारी कठिनाई हो रही थी और अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा था। ज्ञात हो कि भारत कपास का दूसरा सबसे प्रमुख उत्पादक देश है।
बेंचमार्क भाव में तेजी आने के साथ ही भारतीय निर्यातकों की सक्रियता बढ़ गई क्योंकि उसे आयातक देशों से अच्छे आर्डर मिलने लगे। व्यापार विश्लेषकों के अनुसार चालू माह (फरवरी) के दौरान भारतीय व्यापारियों द्वारा करीब 4 लाख गांठ (68 हजार टन) रूई का निर्यात अनुबंध किया जा चुका है जो फरवरी 2022 के बाद का ऊंचा स्तर है।
तीन एशियाई देशों- चीन, बांग्ला देश एवं वियतनाम द्वारा मुख्य रूप से रूई की खरीद की जा रही है। वर्तमान में भारतीय रूई वैश्विक बाजार में अत्यन्त प्रतिस्पर्धी मूल्य पर उपलब्ध है।
एशियाई देशों को इसका आयात काफी सस्ता बैठ रहा है इसलिए वे इसकी खरीद में भारी दिलचस्पी दिखा रहे हैं। कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीएआई) के अध्यक्ष का कहना है कि 2023-24 के वर्तमान मार्केटिंग सीजन (अक्टूबर- सितम्बर) के दौरान भारत से रूई का कुल निर्यात बढ़कर 20 लाख गांठ (170 किलो की प्रत्येक गांठ) तक पहुंच सकता है।
पहले 14 लाख गांठ के निर्यात का अनुमान लगाया जा रहा था। कुछ व्यापारियों का मानना है कि रूई का वास्तविक निर्यात इस बार 25 लाख गांठ तक पहुंच सकता है।
भारतीय रूई का दाम फिलहाल अमरीकी रूई की तुलना में 6-7 सेंट प्रति पौंड नीचे चल रहा है। यदि वैश्विक बेंचमार्क की तुलना में भारतीय रूई का प्रर्तिस्पर्धी मूल्य बरकरार रहा तो मार्च में भी देश से 3 लाख गांठ तक रूई का निर्यात हो सकता है। चीन के आयातक आक्रामक ढंग से भारतीय रूई की खरीद कर रहे हैं।