iGrain India - चंडीगढ़ । हालांकि केन्द्र सरकार ने पांच फसलों- तुवर, उड़द, मसूर, मक्का की खरीद निश्चित रूप से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर करने का प्रस्ताव रखा है और इसके लिए किसानों के साथ पांच वर्षों का अनुबंध करने का भी प्रस्ताव रखा गया है लेकिन आंदोलनकारी किसानों ने इसे अस्वीकार कर दिया है।
सरकार ने किसानों का आंदोलन समाप्त करवाने के उद्देश्य से यह प्रस्ताव रखा है। आंदोलनकारी किसानों की मांग है कि सभी 23 फसलों की खरीद एमएसपी पर सुनिश्चित करने के लिए सरकार एक कानून पास करे।
पिछले कुछ दिनों के अंदर आंदोलनकारी किसानों एवं सरकारी प्रतिनिधियों के बीच चार दौर की बातचीत हो चुकी है लेकिन इसका कोई सार्थक परिणाम सामने नहीं आया है।
सरकार की ओर से तीन मंत्री- पीयूष गोयल, अर्जुन मुंडा एवं नित्यानंद राय इस वार्ता में भाग लेते रहे हैं। समझा जाता है कि किसानों की कुल 13 मांगों में से 10 मांगों को सरकार ने स्वीकार कर लिया है लेकिन फसलों के लिए एमएसपी की गारंटी तथा किसानों की कर्जमाफी जैसी मांग पर सहमति नहीं बन पाई है।
आंदोलनकारी किसानों को दिल्ली आने से रोकने के लिए हरियाणा के शम्भू बोर्डर पर तमाम अवरोध खड़े किए गए हैं आंशु गैस तथा पानी की बौछार का भी इस्तेमाल किया गया।
इतना ही नहीं बल्कि ड्रोन से भी किसानों की गतिविधियों पर नजर रखी जा रही है लेकिन इसके बावजूद किसान अपने इरादे और ठिकाने पर मजबूती से डटे हुए हैं।
समीक्षकों का कहना है कि अप्रैल-मई में लोकसभा के लिए आम चुनाव होना है और यदि किसानों का आंदोलन लम्बा चला तो चुनाव में मौजूदा सरकार की कठिनाई बढ़ सकती है।
सरकार देश में दलहनों का उत्पादन तेजी से बढ़ाना चाहती है ताकि विदेशों से इसके आयात पर निर्भरता को कम या खत्म किया जा सके। सहकारिता मंत्री ही कह चुके हैं कि वर्ष 2027 के अंत तक देश दलहनों के मामले में पूरी तरह आत्मनिर्भर हो जाएगा और 2028 से देश में 1 किलो भी दलहन का आयात नहीं होगा।
भारत में मुख्यत: मसूर, तुवर एवं उड़द का ही सर्वाधिक आयात होता है। जहां तक मक्का का सवाल है तो एथनॉल निर्माताओं को पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए सरकार इसकी खरीद करना चाहती है।
कपास की खरीद पहले से ही विशाल मात्रा में होती रही है। धान, गेहूं तथा गन्ना की खरीद में भी कोई समस्या नहीं है। लेकिन अन्य फसलों के उत्पादकों को एमएसपी का लाभ बहुत कम मिलता है।