iGrain India - नई दिल्ली । चालू रबी सीजन के दौरान सरसों का घरेलू उत्पादन तेजी से बढ़कर सर्वकालीन सर्वोच्च स्तर पर पहुंच जाने के आसार हैं क्योंकि एक तो इसकी रिकॉर्ड बिजाई हुई है और दूसरे, मौसम की हालत भी फसल के लिए काफी हद तक अनुकूल बनी हुई है।
सरसों का उत्पादन बढ़ने से विदेशी खाद्य तेलों के आयात में कुछ कमी आ सकती है जिसमें पाम तेल, सोयाबीन तेल एवं सूरजमुखी तेल शामिल हैं।
सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सी) के कार्यकारी अध्यक्ष के अनुसार देश के लगभग सभी प्रमुख उत्पादक राज्यों में सरसों की फसल अच्छी हालत में है और इसका बिजाई क्षेत्र भी पिछले सीजन से करीब 5 प्रतिशत बढ़कर 100 लाख हेक्टेयर से ऊपर पहुंच गया है।
उद्योग समीक्षकों के अनुसार 2022-23 सीजन के दौरान देश में करीब 115 लाख टन सरसों का उत्पादन हुआ था जबकि 2023-24 के वर्तमान सीजन में उत्पादन इससे 3-5 लाख टन अधिक हो सकता है। सरसों का कुल घरेलू उत्पादन ऊंचे में 120 लाख टन तक पहुंचने की उम्मीद है।
जयपुर के एक मशहूर कारोबारी एवं मरुधर ट्रेडिंग एजेंसी के मैनेजिंग डायरेक्टर अनिल चतर का कहना है कि फसल की हालत बेहतरीन है। यदि अगले दो सप्ताह तक कोई समस्या उत्पन्न नहीं हुई तो सरसों का उत्पादन 120 लाख टन तक पहुंच सकता है।
अन्य व्यापार विश्लेषकों ने भी माना है कि पिछले सप्ताह तक मौसम की हालत ठीक थी लेकिन अब तापमान धीरे-धीरे बढ़ने लगा है। इससे फसल के जल्दी पकने की संभावना बढ़ जाए और दाने का आकर छोटा पड़ सकता है। पहले भी फरवरी और मार्च में ऊंचे तापमान की वजह से फसल प्रभावित होती रही है।
मौसम विभाग के आंकड़ों से पता चलता है कि सबसे प्रमुख उत्पादन प्रान्त- राजस्थान के कुछ जिलों में चालू सप्ताह के दौरान उच्चतम तापमान सामान्य स्तर से करीब 6 डिग्री सेल्सियस ऊंचा रहा।
अनिल चतर के मुताबिक अगले महीने से नई सरसों की जोरदार आवक होने लगेगी। सरसों का न्यूनतम समर्थन मूल्य इस बार 5650 रुपए प्रति क्विंटल नियत हुआ है जबकि थोक मंडी भाव इससे काफी नीचे चल रहा है। यदि यथाशीघ्र खरीदारी शुरू नहीं हुई तो सरसों के दाम में और भी गिरावट आ सकती है।