iGrain India - नई दिल्ली (भारती एग्री एप्प)। केन्द्रीय उपभोक्ता मामले मंत्रालय द्वारा कल यानी 20 फरवरी 2024 को दलहन दाल बाजार तक आयातित स्टॉक सहित अन्य स्थिति की जानकारी के लिए एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई जिसमें खाद्य एवं उपभोक्ता मामले सचिव के अलावा नैफेड, इपगा, तमिलनाडु दलहन आयातक-निर्यातक संघ,
म्यांमार के ओवरसीज एग्रो ट्रेडर्स एसोसिएशन (ओ ए टी ए), एग्री कॉमर्स एंड ट्रेड एसोसिएशन, तूतीकोरिन के दलहन आयातक संघ, ऑल इंडिया दाल मिल्स एसोसिएशन, आई ग्रेन इंडिया तथा कुछ अन्य संस्थाओं के प्रति निधि शामिल हुए। इसमें दाल-दलहन बाजार की स्थिति पर गंभीर एवं विस्तृत चर्चा की गई।
उपभोक्ता मामले सचिव रोहित कुमार सिंह का कहना था कि विदेशों और खासकर म्यांमार से अपेक्षित मात्रा में दलहनों का आयात नहीं हो रहा है और जनवरी-फरवरी में तुवर का आयात कम होना चिंता की बात है।
यदि स्थिति में सुधार नहीं आया तो स्वयं सरकार अपने स्तर से इसके आयात का निर्णय ले सकती है। इसके साथ-साथ तुवर का उच्चतम आयात मूल्य भी म्यांमार के माल के लिए 1000 डॉलर प्रति टन तथा अफ्रीकी उत्पाद के लिए 900 डॉलर प्रति टन नियत किया जा सकता है।
आयातित दलहनों पर स्टॉक सीमा लगाने एवं पोर्टल पर स्टॉक की अनिवार्य जानकारी देने का निर्णय भी लिया जा सकता है। सचिव महोदय का कहना था कि तुवर की खरीद मात्रा ऑन लाइन पोर्टल पर धीरे-धीरे बढ़ रही है जिसे देखते हुए सरकार बफर स्टॉक बनाने में सफल हो सकती है।
उन्होंने आयातकों से कहा कि अभी तक जो दलहन आ चुका है उसे यथाशीघ्र बाजार में उतारे अन्यथा सरकार उच्चतम आयात मूल्य घोषित करने में विलम्ब नहीं करेगी।
उनका कहना था कि जल्दी ही टेंडर के माध्यम से 2-3 लाख टन मसूर की बिक्री की जाएगी। तुवर सहित अन्य दलहनों का नुकसान शुरू करने एवं बढ़ाने के लिए सरकार विभिन्न देशों के साथ मिलकर काम कर रही है।
उधर म्यांमार के प्रतिनिधि ने सूचित किया कि जनवरी-फरवरी में म्यांमार से भारी मात्रा में तुवर का निर्यात हुआ जिसकी खेप अब भारत पहुंचने लगेगी। अफ्रीकी देशों से आयातित तुवर में मोजाम्बिक से 70 हजार टन, तंजानिया से 20 हजार टन, मलावी से 40 हजार टन एवं युगांडा, केन्या तथा नाइजीरिया से 20 हजार टन माल शामिल है। इसमें कोई संदेह नहीं कि तुवर का बढ़ता भाव सरकार को परेशान कर रहा है।
खाद्य सचिव पहले भी उसकी कीमतों को नियंत्रित रखने के लिए कह चुके हैं। पिछले सप्ताह उन्होंने कहा था कि व्यापारियों स्टॉकिस्टों एवं आयातकों द्वारा कुछ मुनाफे के साथ तुवर की बिक्री करने से कोई समस्या नहीं है लेकिन माल का स्टॉक रोककर बाजार भाव बढ़ाने का प्रयास मंजूर नहीं है।
ऐसा प्रतीत होता है कि उद्योग-व्यापार क्षेत्र का समुचित सहयोग-समर्थन नहीं मिलने पर सरकार सख्त कदम उठाने से नहीं हिचकेगी। आई ग्रेन इंडिया का अनुरोध है कि तुवर में क्रत्रिम तेजी लाने का प्रयास न करें ताकि ईमानदारी से कार्य करने वाले व्यापारियों, मिलर्स एवं आयातकों पर कोई असर न पड़े।