iGrain India - नई दिल्ली । घरेलू प्रभाग में दाल-दलहनों के ऊंचे भाव, चना के उत्पादन में गिरावट की आशंका तथा आगामी आम चुनाव को देखते हुए केन्द्र सरकार ने पीली मटर के आयात की समय सीमा को एक माह बढ़ाने का निर्णय लिया है।
केन्द्रीय वाणिज्य मंत्रालय के अधीनस्थ निकाय- विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने 21 फरवरी को देर रात दो अधिसूचना जारी की थी। पहली अधिसूचना में मटर आयात के लिए बिल ऑफ़ लैडिंग (बीएल) की तिथि 31 मार्च 2024 नियत की गई थी।
इसका मतलब यह हुआ कि इस तिथि तक के बीएल वाली मटर की खेप को भारतीय बंदरगाहों पर क्लीयरेंस दी जाएगी। यह पुराने निर्णय का ही एक भाग था।
इसके बाद डीजीएफटी द्वारा दूसरी अधिसूचना जारी की गई जिसमें मटर आयात के लिए बिल और लैंडिंग की अवधि एक माह बाद दी गई। इसका मतलब यह हुआ कि 28 अप्रैल 2024 को या इससे पूर्व की तिथि के बिल ऑफ़ लैंडिंग वाली मटर की खेप को भारत में आयात की अनुमति मिल जाएगी। इससे मटर का आयात अभी दो-तीन माह तक जारी रह सकता है।
सरकार का यह निर्णय अप्रत्याशित नहीं है। घरेलू बाजार में दलहनों और खासकर अरहर का भाव काफी ऊंचे स्तर पर मजबूत बना हुआ है। हालांकि म्यांमार से जल्दी ही इसकी कुछ खेप भारतीय बंदरगाहों पर पहुंचने की संभावना है लेकिन सरकार दलहनों के मामले में अतिरिक्त जोखिम नहीं उठाना चाहती है।
6 दिसम्बर 2023 को जब पीली मटर के शुल्क मुक्त आयात की अनुमति दी गई थी तब इसकी समय सीमा 31 मार्च 2024 तक यह सोचकर नियत की गई थी कि इन चार महीनों में इसका भारी आयात हो जाएगा और फिर घरेलू फसल भी तैयार होकर मंडियों में आने लगेगी।
यह अनुमान सही है। भारत में रूस एवं कनाडा सहित कुछ अन्य देशों से पीली मटर का विशाल आयात हो रहा है लेकिन घरेलू बाजार में दलहनों की कीमतों पर मनोवैज्ञानिक दबाव डालने के लिए सरकार ने मटर आयात हेतु बिल ऑफ़ लैंडिंग की तिथि एक माह बढ़ा दी है।