iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्र सरकार के गैर बासमती सेला चावल पर लगे 20 प्रतिशत के निर्यात शुल्क को आगे भी बरकरार रखने का निर्णय लिया है। इसकी आशंका पहले से ही थी क्योंकि घरेलू बाजार में इसकी कीमतें काफी ऊंची चल रही हैं।
अगस्त 2023 में ही सेला चावल पर 20 प्रतिशत का निर्यात शुल्क लगाया गया था जबकि उससे पूर्व 20 जुलाई 2023 को गैर बासमती सफेद (कच्चे) चावल के व्यापारिक निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया गया था जो अभी बरकरार है।
खरीफ मार्केटिंग सीजन में धान-चावल की सरकारी खरीद पिछले साल से कम होने की संभावना है जबकि घरेलू मंडियों में भी इसकी आवक सीमित हो रही है। इससे कीमतों में मजबूती बनी हुई है।
हालांकि सरकार खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत चावल का स्टॉक नियमित रूप से उतार रही है और अब उसने अपनी अधिकृत एजेंसियों के माध्यम से 28 रुपए प्रति किलो की दर से भारत ब्रांड चावल भी बेचना शुरू कर दिया है लेकिन खुले बाजार भाव पर इसका अपेक्षित असर नहीं पड़ा है। इससे सरकार की चिंता बढ़ गई है जो बढ़ती खाद्य महंगाई को नियंत्रित करने के लिए हर संभव कदम उठा रही है।
गैर बासमती सफेद चावल का शिपमेंट बंद होने के बाद सेला चावल के निर्यात पर जोर दिया जा रहा है जिससे इसका भाव मजबूत बना हुआ है। प्रमुख निर्यातक देशों में चावल का सीमित स्टॉक बचा हुआ है जबकि आयातक देशों में मांग मजबूत बनी हुई है।
इसके फलस्वरूप भारत से सेला चावल का अच्छा निर्यात हो रहा है। 20 प्रतिशत का निर्यात शुल्क लागू होने के बावजूद भारतीय गैर बासमती सेला चावल वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धी मूल्य स्तर पर उपलब्ध है।